बलिया के ऐतिहासिक सांस्कृतिक विरासत को ऐसे मिलेगा बढ़ावा

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कार्यशाला में वक्ताओं ने दिए सुझाव, कहा – बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत

बलिया (सृष्टि मीडिया)। जिले में विश्व विरासत दिवस के पर जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय सभागार में ‘बलिया अनटोल्ड टेल्स ऑफ ए वंडर हेरिटेज (बलिया: अद्भुत विरासत की एक अनकही कहानी) विषय पर एक कार्यशाला व प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि डाॅ. पृथ्वीश नाग, पूर्व कुलपति, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने अपने उद्बोधन में बलिया को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए उपयोगी सुझाव दिये। कहा कि सुरहा ताल के विश्वविद्यालय के तट और मैरिटार के तट तक नौकायन की सुविधा विकसित की जा सकती है। इसके चारो ओर रिंग रोड का निर्माण कर इसको पर्यटकों के अनुकूल विकासित किया जा सकता है। गंगा तट का हैबतपुर से ददरी मेला तक का क्षेत्र धार्मिक पर्यटन के अनुकूल है। यहां पर्यटन के लिए अनुकूल इंफ्रास्ट्रक्चर विकास की आवश्यकता है। कुलपति प्रो. कल्पलता पाण्डेय ने कहा कि बलिया की सांस्कृतिक ऐतिहासिक विरासत अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। सटीक पहचान, संरक्षण और विकास के साथ बलिया को देश के पर्यटन मानचित्र पर जगह दिलाई जा सकती है। इसके लिए संकुलों के माध्यम से कार्य प्रारंभ हो चुका है।

बलिया के प्राचीन इतिहास पर डाला प्रकाश

विशिष्ट वक्ता प्रो. अशोक कुमार सिंह ने बलिया के कटहर नाले के दोनों ओर सड़क के निर्माण के साथ विभिन्न तालों और ऐतिहासिक मंदिरों के विकास की बात उठाई। बलिया के प्राचीन इतिहास पर डाॅ. अमृत आनंद ने विस्तृत प्रकाश डाला। इस क्रम में पुराणों, रामायण और बौद्ध ग्रंथों के प्रसंगों से इसकी प्राचीनता और महत्त्व पर प्रकाश डाला। डाॅ. शैलेंद्र सिंह ने कहा कि बलिया में विद्रोह की प्रवृत्ति हमेशा से रही है। इस्लामिक और अंग्रेजी शासन के दौर में बलिया में निरंतर विरोध होते रहे, जिसकी चरम परिणिति 1942 में बलिया की आज़ादी में दिखती है। इस अवसर पर प्रशासनिक भवन में बलिया की विरासत पर आधारित एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया गया। जिसमें बलिया के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के स्थलों की महत्ता सचित्र प्रस्तुत की गयी। कार्यक्रम का संयोजन डाॅ. अजय चौबे, संचालन डाॅ. सरिता पाण्डेय और आभार डाॅ. छविलाल ने व्यक्त किया। प्रदर्शनी के निर्माण में डाॅ ज्ञानेंद्र चौहान और विद्यार्थियों की केंद्रीय भूमिका रही। इस अवसर पर डाॅ. प्रतिभा त्रिपाठी, प्रो. अरविंद नेत्र पाण्डेय, डाॅ. पुष्पा मिश्रा और डाॅ. प्रियंका सिंह आदि मौजूद रहे।

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