आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। बीमारी के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 17 मई को विश्व हाइपरटेंशन डे मनाया जाता है। वैसे तो यह रोग सभी के लिए खतरनाक माना जाता है लेकिन गर्भवतियों को इस रोग के प्रति अधिक सतर्क रहना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान हाइपरटेंशन के प्रति लापरवाही मां के साथ ही गर्भस्थ शिशु के लिए भी घातक हो सकता है। इस अवस्था में गर्भवती के ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखना अतिआवश्यक होता है। इसके लिए न सिर्फ गर्भवती बल्कि परिवार के सभी सदस्यों को भी इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। उक्त बाते जिला महिला चिकित्सालय की मुख्य अधीक्षिका डा. अमिता अग्रवाल ने कही।
जिला महिला चिकित्सालय की मुख्य अधीक्षका डॉ अमिता अग्रवाल ने बताया कि हाई ब्लड प्रेशर एक ऐसी समस्या है जो गर्भवती में आमतौर पर देखी जाती है। हार्मोनल बदलाव के कारण गर्भवती में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो जाती है। गर्भावस्था में ब्लड प्रेशर को कट्रोल नहीं करने पर जच्चा- बच्चा दोनों की जान को खतरा हो सकता है। हाई बीपी के कारण कई बार असमय प्रसव होने या फिर प्रसव में समस्या आ जाती है। बीपी बढे रहने पर नॉर्मल डिलीवरी में परेशानी होती है। डॉ अमिता अग्रवाल ने कहा कि चिकित्सालय में जनवरी 2023 से मार्च तक आई कुल 1405 गर्भवती में 30 हाईबीपी की गर्भवती चिन्हित हुई। उन्होने कहा कि गर्भावस्था में हाई बीपी कई कारणों से होता है। जिन महिलाओं की कम उम्र होती है या 40 से अधिक होती है उन्हें कंसीव करने के बाद हाई ब्लड प्रेशर की समस्या ज्यादा होती है साथ ही वजन ज्यादा होना, गर्भावस्था में शिथिल हो जाना, सिगरेट और शराब का सेवन करना, ज्यादा तेल मसाला को भोजन में शामिल करना गर्भावस्था के दौरान हाई बीपी के कारण बनते हैं।
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गर्भावस्था में हाई बीपी के लक्षण-
आजमगढ़। डा. अमिता अग्रवाल ने बताया कि गर्भावस्था में लंबे समय तक सिरदर्द रहना हाई बीपी के संकेत होते है। मोटापा भी गर्भावस्था में हाई बीपी के प्रमुख लक्षणों में से एक है। गर्भावस्था में हाई बीपी होने पर कई बार धुंधला दिखना शुरु हो जाता है। हाई बीपी होने पर गर्भवती को कई बार सीनें में दर्द और सांस लेने में तकलीफ भी होती है। गर्भावस्था में बार बार चक्कर आना भी हाई बीपी का कारण हो सकता है।
गर्भावस्था में हाई बीपी से बचाव –
आजमगढ़। डा. अमिता अग्रवाल ने बताया कि गर्भावस्था में वजन बढ़ना आम समस्या है इससे बचने के लिए गर्भवती को संतुलित आहार लेनी चाहिए। नींद पूरी लेनी चाहिए। सोने व जागने का समय तय करना चाहिए। खाने में फल-सब्जियां पर्याप्त मात्रा में लेना चाहिए, योगा जरूर करें।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार