आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। आजमगढ़ महोत्सव-2023 के अन्तर्गत हरिऔध कला केन्द्र आजमगढ़ में साहित्य के सन्दर्भ में आजमगढ़ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता डा. राजाराम सिंह द्वारा किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में डा. मनीषा मिश्रा, डा. सुभाष सिंह गाजीपुर, डा. शशि भूषण प्रशान्त व डा. जगदम्बा दूबे प्रो. डीएवी डिग्री कालेज ़ ने प्रतिभाग किया।
इस अवसर पर डा. सुभाष सिंह ने कहा कि हरिऔध जी खड़ी बोली के महाकवि थे, वे साहित्य के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले तथा अत्यधिक पुरस्कारों से सम्मानित व्यक्ति थे। वे दो बार साहित्य के क्षेत्र में सभापति भी चुने गये थे। उस समय उनको साहित्य के क्षेत्र में सबसे शीर्ष सम्मानों से सम्मानित किया गया था। निराला जी के बाद हरिऔध जी का हिन्दी साहित्य में स्थाना आता है। उन्होने कहा कि इसी प्रकार आजमगढ़ में सैदा जी, राहुल सांकृत्यायन, पं0 चन्द्रबलि पाण्डेय आदि साहित्यकारों ने हिन्दी साहित्य को बहुत ऊंचे आयाम तक पहुंचाया है। शिब्ली नोमानी, कैफी आजमी को कोई नही भूल सकता है, जिन्होने आजमगढ़ के नाम को बहुत ही ऊंचा किया है। इसी के साथ ही डा. मनीषा मिश्रा, डा. जगदम्बा दूबे, डा. शशि भूषण प्रशान्त एवं डा. राजाराम सिंह ने हिन्दी साहित्य के विषय में विस्तार से अपने-अपने विचार व्यक्त किये।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार