आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। शहर के जाफरपुर स्थित श्री राम जानकी मंदिर पर आयोजित सप्त दिवसीय संगीतमय श्री हनुमान कथा के पांचवे दिन शनिवार की रात्रि प्रवचन करते हुए बाल ब्यास पंडित कौशल किशोर जी महाराज ने कहा कि हनुमान जी चरित्र शील समर्पण और इष्ट के भक्ति से ओत प्रोत हैं। वह बलवान के साथ शीलवान हैं। जब माता सीता के सम्मुख जाते हैं तो छोटे बन जाते है और जब असुरों के सामने आते हैं तो पहाड़ जैसे हो जाते हैं। हनुमान जी के चरित्र से युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए जो माता पिता, गुरु और श्रेष्ठ के सामने हर समय शीलता का परिचय देता है और आशीर्वाद प्राप्त करता है वह कभी असफल नहीं होता।
उन्होंने कहा कि एक बार गुरु वशिष्ठ और विश्वामित्र में सत्संग और तप को लेकर विवाद हो गया। विश्वामित्र कहे कि तप श्रेष्ठ है और ऋषि वशिष्ठ बोले कि सत्संग श्रेष्ठ है। इसके पश्चात वो लोग इस विषय के समाधान हेतु शेषनाग के पास गए। शेषनाग वशिष्ठ और विश्वामित्र से कहते हैं यदि आप दोनों में से कोई मेरे ऊपर रखी इस पृथ्वी का भार कुछ समय के लिए सहन कर ले तो मैं इस विषय का समाधान करूं। इसके बाद विश्वामित्र ने अपनी तप के आधा फल लगा कर पृथ्वी को रोकने का प्रयास किया पृथ्वी के धारण करते ही पृथ्वी कांपने लगी और वो असफल रहे। उसके बाद ऋषि वशिष्ठ अपने सत्संग के आधे क्षण का संकल्प कर के उसके प्रभाव से पृथ्वी का भार रोक लेते हैं। उसके बाद दोनों ऋषि शेषनाग से कहते है कि अब हमारी इस समस्या का समाधान करे। शेषनाग प्रसन्न हो के विश्वामित्र से कहते हैं समस्या का समाधान तो हो गया जो आपके आधे तप के फल से हमारे ऊपर रखी इस पृथ्वी का भार सहन न हो सका। उसे वशिष्ठ ने अपने सत्संग के प्रभाव से रोक दिया। दोनों ऋषि तो ज्ञानी थे वह दोनों समझ जाते हैं कि सत्संग ही श्रेष्ठ है। सत्संग और सुमिरन का आश्रय लेकर हनुमान जी ने श्री राम जी को अपने बस में कर लिया।
इस अवसर पर टीपी सिंह, सुशील सिंह, आचार्य अंकित मिश्रा, पंडित कृष्ण मुरारी दुबे, बबलू सिंह, अजय वर्मा, प्रमोद वर्मा, संजय चौरसिया आदि लोग उपस्थित थे।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार