फूलपुर आज़मगढ़ (सृष्टिमीडिया)। श्रावण शुक्ल सप्तमी को रात्रि संत शिरोमणी गोस्वामी तुलसीदास की जंयती श्रीरामजानकी (आचारीबाबा) मंदिर पर धूमधाम से मनाई गई। मुख्य अतिथि प्रो. प्रभुनाथ सिंह मयंक को भृगुनाथ जी ने चन्दन लगाकर, रामसेवक सोनकर ने अंगवस्त्र से ससम्मान स्वागत किया।
प्रोफेसर प्रभुनाथ सिंह “मयंक“ ने कहा कि रामबोला से रामभक्त तुलसीदास बनाने में उनकी पत्नी रत्नावली द्वारा त्यागोपदेश का प्रभाव पड़ा कि गुरुओं, साधु संगति से श्री रामचरित मानस, कवितावली, जानकी मंगल, राम लला नहछू, हनुमान बाहुक, हनुमान चालीसा, विनय पत्रिका आदि ग्रन्थों की रचना “स्वान्तःसुखाय “लोककल्याण कारी कार्य किये। सामाजिक अभाव, उपहास का भी कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ा।सतत भक्तिमय भावना से साहित्य साधना में संलग्न रहे। राक्षसी आक्रांता अकबर के दमनकारी नीति, भय, दबाव, प्रलोभन, उपद्रव, से भी प्रभावित नहीं हुए। भक्तिमय राष्ट्रीय स्वस्थ जन जागृति हेतु रामलीला मंचन, मल्लशालाओं का सफल आयोजन कराया। उपद्रवियों के उपहास से भी सम्मानित हुए। आज भी इनकी रचनाएं हिन्दी साहित्य में कीर्ति पताका फहरा रहे हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा राजेन्द्र मुनि और संचालन अरविन्द कुमार जी ने किया। इस अवसर पर ऋषि तिवारी, हरिश्चंद्र बरनवाल ,मंगरू अग्रहरि,शैलेंद्र प्रजापति, सुरेश मौर्य, राघवेन्द्र तिवारी, जितेन्द्र मिश्र, रामकृष्ण राय, सूर्यबली यादव, शिमला प्रजापति, चम्पा मौर्या, बीना अनिल अग्रहरि आदि उपस्थित रहे।
रिपोर्ट-मुन्ना पाण्डेय