आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। शहर के अधिकतर पंडालों में हवन और विसर्जन आरती के बाद सुबह से दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन का सिलसिला शुरू हो गया। देर रात तक डीजे की धुन पर नृत्य करते और अबीर-गुलाल उड़ाते प्रतिमा के आगे श्रद्धालु चल रहे थे। शहर के उत्तरी क्षेत्र के लोगों ने तमसा नदी के किनारे हथिया के पास प्रतिमाओं का विसर्जन किया, तो दक्षिणी क्षेत्र के लोग विसर्जन के लिए प्रतिमाओं के साथ सिधारी क्षेत्र के निर्धारित स्थल पर पहुंचे। विजयादशमी को शनिवार को ही मनाया गया था, लेकिन दूसरे दिन रविवार होने के कारण अधिकतर पूजा कमेटियों ने विसर्जन से परहेज किया, क्योंकि यहां मान्यता यह है कि रविवार और मंगलवार को मां की विदाई नहीं की जाती। व्यवस्था देखने वाले थके लोग वैसे तो दशहरा के दूसरे दिन विसर्जन जुलूस निकालते रहे हैं, लेकिन इस बार रविवार का बंधन आड़े आ गया। सोमवार की सुबह से ही दुर्गा प्रतिमाएं उठाई जाने लगीं। प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए ट्रैक्टर-ट्राली को भी खूब सजाया गया था। बड़े-बड़े डीजे की धुन पर युवा खूब थिरके। विसर्जन से पहले सभी दुर्गा प्रतिमाओं ने पूरे शहर का चक्कर लगाया।
इस दौरान माता रानी की प्रतिमाओं के अंतिम दर्शन को पूरा हुजूम उमड़ पड़ा। प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ ही जिला प्रशासन ने राहत की सांस ली है।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार