आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। मानव जनहित सेवा संस्थान व रामकथा समिति के संयुक्त तत्वावधान में शहर से सटे चकगोरया में चल रहे सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत् कथा के चौथे दिन व्यास पूजन के साथ कथा क्रम को आगे बढ़ाते हुए बाल व्यास कौशल किशोर जी महाराज ने बताया कि महाराज उत्तानपाद की दो रानियां थी। एक का नाम सुनीति तथा दूसरे का नाम सुरूचि। सुनीति के पुत्र का नाम ध्रुव था, धु्रव की सौतेली मां सुरूचि द्वारा तिरस्कार किया गया। जिससे दुखी होकर अपनी मां से वार्ता विज्ञान प्राप्त कर 5 वर्ष की अवस्था में भगवान की प्राप्ति हेतु तपस्या करने जंगल चले गए। मात्र 5 वर्ष की तपस्या में बालक ध्रुव को भगवान मिल गए। उन्होंने कहा कि यह संसार जिसको तिरस्कृत करता है उसे परमेश्वर पुरस्कृत करते हैं।
बालव्यास कौशल किशोर ने कहा कि इस जीव को जगत में जगदीश पर विश्वास करना चाहिए। इस दौरान निर्भय गाजीपुरी ने भजन से समां बांध दिया। इस अवसर पर सत्यम, अंशु, आशीष, सुभाष चन्द्र, जेपी श्रीवास्तव, विनय राय, घनश्याम तिवारी, राय अनूप श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार