माताओं ने संतान की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और वैभव के लिए रखा निर्जल व्रत
वाराणसी। भोलेनाथ की नगरी में आज गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जा रहा है। अलसुबह से देर शाम तक गणेश मंदिरों में भक्तों ने पूजन-अर्चन किया। ठंड के बावजूद प्रमुख मंदिरों पर सैकड़ों की संख्या में भक्त मौजूद रहे। हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ या संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। आज के दिन महिलाएं संतान प्राप्ति, संतान की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और वैभव के लिए निर्जल व्रत रहती हैं। इस पुण्य अवसर पर आज काशी में सुबह से ही गणेश मंदिरों में दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा हुआ है। काशी में गणेश चतुर्थी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। लोहटिया स्थित बड़ा गणेश मंदिर, सोनारपुरा स्थित श्रीचिंतामणि गणेश मंदिर और दुर्गाकुंड स्थित दुर्ग विनायक गणेश मंदिर में श्रद्धालु सुबह से ही दर्शन-पूजन कर रहे हैं। श्रद्धालु भगवान गणेश को उनका प्रिय मोदक और तिल के लड्डू अर्पित कर रहे हैं।
परम्परा और मान्यता के अनुसार होता है पूजन
बड़ा गणेश मंदिर के पंडित रामानाथ दूबे ने बताया कि आज भोर में भगवान गणेश का भव्य श्रृंगार कर उनकी पूजा और आरती के बाद श्रद्धालुओं के दर्शन-पूजन के लिए कपाट खोला गया। गणेश चतुर्थी के पर्व का बड़ा महत्व है। इस दिन व्रत रहने और भगवान गणेश की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। श्री चिंतामणि गणेश मंदिर के महंत चल्ला सुब्बाराव शास्त्री ने कहा कि गणेश चतुर्थी का विशेष माहत्व है। महिलाएं पुत्र प्राप्ति के साथ ही धन और वैभव के लिए आज निर्जल व्रत रखती हैं। सच्चे मन से पूजा करने पर भक्तों की मनोकामनाएं प्रभु गणेश पूरी करते हैं। वहीं, श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर वाराणसी कमिश्नरेट की पुलिस गणेश मंदिरों के आसपास अतिरिक्त सतर्कत बरत रही है।
सुनें ज्योतिषियों की
ज्योतिषियों के अनुसार गणेश चतुर्थी व्रत की पूजा के लिए आज रात 8:23 बजे चंद्रमा का उदय होगा। जैसे ही चंद्रमा का उदय हो, वैसे ही थाली में पूजा का सामान लेकर व्रत रहने वाली महिलाओं को पूजा शुरू कर देनी चाहिए। रात 8:23 बजे से 9:00 बजे के बीच में पूजा करने का अच्छा मुहूर्त है।