मेंहनगर आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। स्थानीय तहसील क्षेत्र के गौरा गांव में चल रहे सात दिवसीय संगीतमयी श्रीराम कथा के चौथे दिन प्रवचन करते हुए पंडित कौशल किशोर जी महाराज ने भगवान श्रीराम के आदर्शाें की चर्चा करते हुए कहा कि भगवान श्रीराम का चरित्र मर्यादा और त्याग का पर्याय है। जिस समय भगवान श्रीराम जी महाराज जनक के पुष्प वाटिका में गुरु जी के आदेशानुसार पुष्प लेने गए, वाटिका के मालियों से अनुमति मांग कर वाटिका में प्रवेश किया।
उन्होंने कहा कि प्रभु पुष्प तोड़ने के लिए हाथ बढ़ाए, उस समय पुष्प आनंदित हो गए और कलियां दुखी हो गयीं। पुष्प अपने को पूर्ण मान रहे थे इसलिए प्रभु ने पुष्प को तोड़कर हाथ पर रख लिया और कलियां अपने को अपूर्ण मान रही थीं। कलियों को प्रभु ने अपने माथे पर रख लिया। परमात्मा एक पल में पूर्ण को अपूर्ण और अपूर्ण को पूर्ण बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य को भगवान के चरण का आश्रय लेना चाहिए। धर्म के स्वरूप की मंगलमय चर्चा करते हुए कहा कि मानव को अपने प्राप्त दायित्वों का निष्ठापूर्वक पालन करना ही वास्तविक धर्म है। इस दौरान भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
रिपोर्ट-धीरज तिवारी