आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। गंगा समिति एवं शुरूआत समिति के माध्यम से आयोजित 24 वें आजमगढ़ पुस्तक मेलें के छठे दिन ‘‘औरत की दुनिया’’ थीम पर विमर्श एवं कार्यशाला का आयोजन किया गया।
एसडीएम लालगंज दिशा ने कहा कि पढ़ाई पेंशन है, समय प्रबन्धन और आत्म अनुशासन जिंदगी की बेहतरी के लिए आवश्यक है। शिक्षा ही आत्मविश्वास देता है। उन्होंने कहा कि नारी के सशक्त होने से ही समाज सशक्त होगा। स्त्री का शिक्षित होना इस मायने में भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वह दो परिवारों को शिक्षित कर सकती है। डा. सविता सिंह ने कहा कि भूमण्डलीकरण के समय में ज्ञान से ही सशक्त होगी स्त्री। शमा शेख, प्रवक्ता, माघ्यमिक विद्यालय विमर्श की संयोजक ने कहा कि हमारे धर्मग्रन्थों में महिलाओं को उच्च स्थान प्राप्त था। नारी को देवी की तरह पूजनीय माना जाता था। मध्यकालीन युग में महिलाआें को ऐसा स्थान प्राप्त नहीं था। परन्तु वर्तमान समय में स्त्रियों की स्थिति सुधरी है परन्तु अभी भी वह स्थान प्राप्त नहीं हुआ जिसकी वो हकदार हैं।
डा. अनुभा श्रीवास्तव, प्रोफेसर, मनोविज्ञान विभाग ने कहा कि महिलाएं आधी जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करती हैं। यदि इन्हें आगे बढ़ने का मौका दिया जाय तो ये सिर्फ अपने परिवार को ही सशक्त नहीं बनायेंगी, बल्कि देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देंगी। अध्यक्षता करते हुए रूबी खातून, प्रधानाचार्य, जीजीआईसी ने कहा कि आज महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र में अपना योगदान दे रही हैं। वे अपनी पारिवारिक जिंदगी के साथ-साथ कार्यालयी क्षेत्र की जिम्मेदारी को बखूबी निभा रही हैं।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार