आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। नगर के गुरूघाट स्थित श्रीराम जानकी मंदिर में चल रही श्रीराम कथा के पांचवे दिन शनिवार की रात कथा वाचक अंकित चतुर्वेदी जी महाराज ने कहा कि गौतम ऋषि के शाप से शापित हुई अहिल्या माता जो पत्थर की शिला के रूम में परिवर्तित हो गई थी उनके इस शाप से मुक्त करने के लिए प्रभु श्रीराम के चरण की रज (धूल) के स्पर्श मात्र से ही माता अहिल्या को नव जीवन की प्राप्ति हुई।
उन्होंने कहा कि जब माता जी ने देखा की सामने प्रभु श्रीराम खड़े हैं तो दोनो नेत्र से अश्रु पात होने लगा। उन्होंने कहा कि हे नाथ अब मुझे समझ में आया कि मेरे पति परमेश्वर ऋषि गौतम जी ने शाप नही बल्कि मेरे ऊपर उपकार किया। आपके दर्शन मात्र से मैं इस भव सागर से मुक्त हो गई। प्रभु हे नाथ गीता का सार भी यही है कि जो हुआ अच्छा हुआ। इस अवसर पर कार्यक्रम अध्यक्ष सुभाष चंद्र तिवारी कुंदन, मंत्री महंत संजय कुमार पांडेय, राजीव आर्य, ढुनमुन सोनकर, ओम प्रकाश गुप्ता, अच्छेलाल सोनकर, कविकांत उपाध्याय आदि उपस्थित थे।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार