पटवध आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। जिला बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा 1997 में परिषदीय विद्यालयों में शिक्षक भर्ती का विज्ञापन निकाला गया था जिसमें बीटीसी या बीटीसी के समकक्ष परीक्षा जेटीसी, एचटीसी को निर्धारित मानक बनाया गया था जिसमें साक्षात्कार के बाद भर्ती प्रक्रिया संपन्न हुई। लेकिन बीटीसी के समकक्ष माने जाने वाले शिक्षा विशारद की डिग्री को अमान्य कर दिया गया और बताया गया कि यह सेवा भारती अध्यापन मंदिर सेवापुरी वाराणसी संस्था को पहले से प्रतिबंधित कर दिया गया है जिससे विभाग शिक्षा विशारद डिग्री को मान्य नहीं करेगा। ऐसे मामलों में भी कुछ अभ्यर्थी ऐसे थे जिनके पास शिक्षा विशारद की डिग्री थी। ऐसी परिस्थितियों में दो अभ्यर्थी जिसमें ऐराकला निवासी संजय सिंह एवं दूसरा अभ्यर्थी मालगांव निवासी राकेश मिश्रा ने हाईकोर्ट में एक रिट दाखिल कर दी। बाद में हाई कोर्ट ने दोनों अभ्यर्थियों के पक्ष में 21 अप्रैल 1999 में नियुक्ति के लिए फैसला दे दिया। 1999 से दोनों अभ्यर्थी नियुक्ति के लिए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सहित उच्चाधिकारियों के यहां प्रत्यावेदन पर प्रत्यावेदन करके कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं और दर-दर भटक रहे हैं। लेकिन उन्हें कोई न्याय नहीं मिला। बाद में इन अभ्यर्थियों द्वारा आरटीआई को हथियार बनाकर जन सूचना मांगी गई। जिसकी जानकारी दो साल बाद 5 मई 2023 को सूचना दी गई कि शिक्षक भर्ती से संबंधित सारे अभिलेख दस्तावेज उनके कार्यालय से गायब हैं। लेकिन आज तक इस कार्यालय द्वारा अभिलेख गायब होने की कोई भी एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई। इस बाबत जब बेसिक शिक्षा अधिकारी आजमगढ़ समीर सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मैं अभी हाल ही में पदभार ग्रहण किया हंू। अभी मुझे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। मैं इसके बारे में जानकारी करूंगा और फाइल की खोजबीन करवाउंगा। दोनों अभ्यर्थी लगभग 27 साल से नियुक्ति के चक्कर में पड़े हुए हैं आगे देखिए क्या होता है।
रिपोर्ट-बबलू राय