वाराणसी से गिरफ्तार शाहबाज आलम से पूछताछ में यह जानकारी सामने आई
वाराणसी (सृष्टि मीडिया)। माफिया मुख्तार अंसारी, बहू निकहत बानो व पुत्र अब्बास की मदद के लिए छह माह में पौने दो करोड़ रुपये खर्च किए गए। इस लेनदेन का कोई हिसाब किताब नहीं है। हवाला और शेल कंपनियों की मदद से रकम दी जा रही है। वाराणसी से गिरफ्तार शाहबाज आलम से पूछताछ में यह जानकारी सामने आई है। जांच एजेंसियों ने ईडी व आयकर अधिकारियों से मदद मांगी है।
ऑनलाइन रुपये उपलब्ध कराने का जिम्मा शाहबाज का ही था
विधायक अब्बास व उसकी पत्नी निकहत के मददगारों को नकदी और महंगे गिफ्ट दिलाने के लिए ऑनलाइन रुपये उपलब्ध कराने का जिम्मा शाहबाज का ही था। वही मुख्तार व अब्बास के बही खाते का हिसाब रखता था। उसने दो बेनामी खातों से छह माह में 92 लाख व 87 लाख रुपये ट्रांसफर किए हैं। इन बेनामी कंपनियों के अलावा कुछ शेल कंपनी भी मिली हैं, जिसमें कैश जमाकर आपराधिक गतिविधियों के लिए इधर-उधर भेजा गया है। रुपये मुकदमों व अन्य सुविधाएं पहुंचाने वालों को दिए जाते थे। जेल में निकहत के पर्स में भी सऊदी अरब की करेंसी बरामद हुई थी।
क्या हैं शेल कंपनियां और हवाला
शेल कंपनियां कागजों पर बनी ऐसी कंपनियां होती हैं, जो किसी तरह का आधिकारिक कारोबार नहीं करतीं। इन कंपनियों का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जाता है। इन कंपनियों के संचालन की बात की जाए तो इनमें किसी तरह का कोई काम नहीं होता। इनमें केवल कागजों पर एंट्री दर्ज की जाती है। इसी प्रकार हवाला का मतलब नकद लेनदेन से होता है। वहीं, डीआईजी विपिन कुमार मिश्रा ने बताया कि जेल प्रकरण में अबतक पकड़े गए मददगारों के अलावा नकदी व अन्य महंगे गिफ्ट का प्रलोभन देने वाला रैकेट हो सकता है। वाराणसी से एक एकाउंटेंट के पकड़े जाने के बाद इस बात को बल मिला है कि यह रैकेट दिल्ली तक है। अभी और नाम सामने आ सकते हैं।