महराजगंज आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। केंद्र सरकार जहां एक साल के लिए मुफ्त राशन की व्यवस्था का ऐलान कर रखी है और राज्य सरकार उस योजना के क्रियान्वयन में भी लग गयी है। परन्तु किसान अन्न उपजाए तो कैसे और समस्या बताये तो कैसे और किसे। यह सवाल उस वक्त खड़ा हो जाता है जब किसान अपनी बात लोकतांत्रिक परम्परा से कहते कहते थक हार कर क़ानून की भाषा में गैर कानूनी मानी गयी अवस्था आत्महत्या के लिए विवश हो जाता है।
देवरांचाल के बाढ़ प्रभावित किसानों की लोकतांत्रिक आवाज़ न तो सरकार, न तो जनप्रतिनिधि और न ही जिले के आला अधिकारियों के कानों तक अभी पहुंच पा रही है। जबकि किसान विगत 52 दिनों से मानिकपुर रौनापार में अनिश्चित कालीन धरने पर अपनी व्यथा सुनाने के लिए बैठे हैं। इस धरने को बाढ़ पीड़ित संगठन सहित अन्य सामाजिक संगठनों का समर्थन भी मिल रहा है। इन्ही दिनों में देवारा विकास सेवा समिति के तत्वाधान में जिले भर के सामाजिक संगठनों ने किसानों के समर्थन में जिले पर भी धरना दिया था। लेकिन अधिकारीगण व कर्मचारी सहित कोई भी जनप्रतिनिधि धरना स्थल पर किसानों की सुधि नहीं ली। धरने में जगरोपन यादव, रामकरण भारती, परमहंस यादव, अक्षयबर वर्मा, नर्वदेश्वर मिश्रा, राजीव मिश्रा आदि उपस्थित रहे।
रिपोर्ट-राजनरायन मिश्र