सूखी नहर में पानी की आस लगाये बैठे किसान

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मार्टिनगंज आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। भीषण गर्मी में तहसील क्षेत्र की सूखी शारदा सहायक नहर विभाग की लापरवाही को खुली किताब की तरह उजागर कर रही है। लापरवाही से किसान मुश्किल में हैं। इस समय धान की नर्सरी डालने का काम चल रहा है। शारदा सहायक नहर से बारौना, बड़गहन, सहानुडीह, बर्रा, सतैनी, बैरी, कोदहरा, चोर्रा, बरदह, बकेश, असवानिया, देवगांव, अहिरौली, छत्तरपुर समेत सैकड़ों गांव आश्रित है।
शारदा सहायक नहर में पानी बंद कर दिए जाने से किसानों के समक्ष पशुओं के हरे चारे के उत्पादन, सब्जी की खेती व फसलों की सिंचाई करने में परेशानी बढ़ गई है। वहीं बेसहारा पशुओं को पीने का पानी नहीं मिल रहा है। मुख्य नहर पर लगभग सैकड़ों गांवों के किसान आश्रित हैं। खेती-किसानी के सिचाई का मुख्य साधन नहर ही है। इस समय धान की बुवाई जोरों पर है लोग धान के बीज लगा रहे हैं। धान के बीज को तैयार करने और उनकी रोपाई करने के साथ-साथ फसल के तैयार होने तक सिंचाई की जरूरत होती है। ऐसे में जिन किसानों के पास वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है और नहरों पर ही आश्रित है, उनके लिए यह एक दुर्लभ घड़ी है और वह नहरों की तरफ आस लगाए एकटक नजर लगाए बैठे हुए हैं कि कब पानी आए और कब सिंचाई हो।
किसान फूलचंद सरोज, अशोक सरोज, रामजतन सरोज, मिथिलेश प्रजापति कहते हैं कि बीते दिनों में नहर साफ-सफाई के नाम पर बंद होती थी, इस बार अकारण ही पानी बंद कर दिया गया है। पानी के अभाव में इन दिनों पशुओं के लिए हरे चारे बोने की परेशानी बढ़ गई है। वहीं बेसहारा पशु पानी की तलाश में गांवों की ओर रुख कर रहे हैं।
रिपोर्ट-अद्याप्रसाद तिवारी

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