आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। मानूसन की बेरुखी प्यासी धरती की बेचैनी को बढ़ा रही है। रविवार को भी आसमान में धुमड़-धुमड़कर बादल आए, लेकिन किसानों की उम्मीदों पर पानी फेरकर चले गए।
आसमान में बादल देख हर दिन किसान बारिश की उम्मीद पाल रहे हैं कि अब तो जमकर बारिश होगी, लेकिन देखते ही देखते बादल छंट जा रहे और किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर रहा है।
रविवार को भी चंद मिनटों में बादल चले गए और सूर्यदेव ने अपना प्रकोप दिखाना शुरू कर दिया। तीखी धूप के कारण लोग बेहाल हो उठे। धूप देखकर किसानों के खिले चेहरों पर मायूसी छा गई है। लगभग तीन पखवाड़े से यही हाल है।
कई बार आसमान में बादल छाए, लेकिन हर बार बादल दगा दे गए। बारिश की उम्मीद हर बार निराशा में बदल गई। किसानों का कहना है कि वर्तमान में खेतों की सिंचाई के लिए बारिश की बेहद आवश्यकता है। धान के साथ अन्य फसलों की रोपाई लगभग पूरी हो चुकी है। बारिश न होने से खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं। साधन संपन्न किसान तो अपने नलकूपों के भरोसे फसलों की प्यास ले रहे हैं, लेकिन छोटी और मध्यम जोत के किसानों के लिए फसल बचाने की चुनौती खड़ी हो गई है।
खेत सूखे पड़े हैं और फसल बचाने का रास्ता नहीं दिख रहा है। ऐसे में बारिश के लिए किसान बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। सावन के महीने में झमाझम बारिश होने की आस में अधिकतर लोगों ने धान की रोपाई कर दी, लेकिन लोगों को बारिश न होने से लगातार मायूसी हाथ लग रही। जुलाई माह में झमाझम बारिश होना बेहद जरूरी माना जाता है, जबकि यह महीना अब बीतने वाला है और किसान निराश हो रहे हैं। वहीं, गन्ना, तिलहन और हरे चारे जैसी फसलों में भी अपेक्षित स्तर पर बारिश न होने से नुकसान हो रहा है। दूसरी ओर चिलचिलाती धूप निकलने से उमस भरी गर्मी ने हर किसी के पसीने छुड़ाए हुए हैं।
रिपोर्ट-सुबास लाल