यूरोपीय देश एस्टोनिया जैसा होगा भारत का जीनोम बैंक, BHU कर रहा सहयोग

शेयर करे

बीएचयू एस्टोनिया देश की तरह जीनोम बैंक बनाने के लिए पूरी तरह से है तैयार

वाराणसी (सृष्टि मीडिया)। भारत में जल्द ही यूरोपीय देश एस्टोनिया की तरह जीनोम बैंक खोलने की तैयारी है। इसमें बीएचयू बड़ी भूमिका निभाएगा। इसके जरिये बीमारियों की पहचान में आसानी होगी। व्यक्ति के जीन के हिसाब से दवाओं की डोज निर्धारित की जा सकेगी। कुछ रोछों की जानकारी पहले ही मिल जाएगी। अनुवांशिक बीमारियों की पहचान भी संभव है। बीएचयू में एसोसिएशन ऑफ डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एंड एसोसिएटेड टेक्नोलॉजिज (एडनैट) की तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का समापन हुआ। संयोजक प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि भारत में जीनोम बैंक की शुरुआत हो सकती है। बीएचयू एस्टोनिया देश की तरह जीनोम बैंक बनाने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

रोगों के बारे में आगाह किया जा सकेगा

इसके जरिये हर व्यक्ति की मेडिकल हिस्ट्री का ब्योरा एक ही क्लिक पर डॉक्टरों के सामने होगा। विवाह के दौरान ही आने वाली पीढ़ियों में होने वाले रोगों के बारे में आगाह किया जा सकेगा। बैंक तैयार करने में लंबा वक्त लगेगा। संयोजक ने कहा कि एडनैट में इसकी आधारशिला रखी जा चुकी है। सरकार से हरी झंडी मिलते ही बीएचयू में काम शुरू कर दिया जाएगा।अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में शिरकत करने वाराणसी आए एस्टोनिया जीनोम बैंक के निदेशक प्रो. माइट मेट्सपालू महत्व बताया और कहा कि यूरोपीय देश एस्टोनिया में वर्ष 2000 के दौरान जीनोम बैंक खुला था। इसमें 20 फीसदी जनता का सैंपल और डाटा उपलब्ध है। अगर कोई मरीज डॉक्टर के पास जाता है तो उसकी 20 वर्ष की मेडिकल हिस्ट्री सामने आ जाती है। पता चल जाता है कि उसे कौन-कौन सी बीमारी हुई और कौन सी दवा दी गई। इसका ब्योरा जीनोम बैंक में उपलब्ध है। एक दवा जब एस्टोनिया में काम नहीं करती है तो फिर भारत जैसे देश में यह कैसे काम करेगी। इसलिए भारत में जीनोम बैंक होना बेहद जरूरी है। इससे स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ा बदलाव आएगा। एस्टोनिया से बड़ा जीनोम बैंक अमेरिका में भी नहीं है।

जीन हमारे जीवन की कुंजी है : प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे

जीनोम बैंक के जरिये किसी प्राणी के संपूर्ण जीनोम सीक्वेंस का पता लगाया जा सकता है। जीन हमारे जीवन की कुंजी है। हम वैसे ही दिखते या करते हैं, जो काफी अंश तक हमारे देह में छिपे सूक्ष्म जीन तय करते हैं। यही नहीं, जीन मानव इतिहास और भविष्य की ओर भी संकेत करते हैं। जीन वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि एक बार मानव जाति के समस्त जीनों की संरचना का पता लग जाए, तो मनुष्य की जीन-कुंडली के आधार पर, उसके जीवन की समस्त जैविक घटनाओं और दैहिक लक्षणों की भविष्यवाणी करना संभव हो जाएगा। मानव जीनोम परियोजना से प्राप्त डाटा बेस के आधार पर विशिष्ट मामलों में व्यक्ति की पहचान आसान हो जाएगी। संदिग्ध अपराधी को उसके डीएनए के आधार पर पकड़ा जा सकता है।  जीनोम बैंक का सबसे अधिक लाभ चिकित्सा क्षेत्र में होगा। पहले किसी रोग से जुड़े एक जीन की खोज करने में कई वर्ष लग जाते थे। अगर बैंक खुला तो जीनोम सीक्वेंसिंग से ऐसे जीन का पता जल्द ही लगाया जा सकेगा। जीनोम सीक्वेंस के जरिये अब तक तीस रोगों के जीन का पता लग चुका है। इसमें टार-साक्स सिंड्रोम, सिस्टिक्स फाइब्रॉरिस, हैरिंगटन रोग आदि प्रमुख हैं। अनुवांशिक रोगों का पूर्व आकलन, रोगों की जांच, जीन चिकित्सा पद्धति एवं औषध नियंत्रण के तरीके भी मिल सकेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *