विद्युत कर्मचारियों ने लिया संकल्प, आखिरी श्वास तक करेगें निजीकरण का विरोध

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आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के आह्वाहन पर बिजली के निजीकरण के विरुद्ध प्रदेशव्यापी आंदोलन के तहत समस्त बिजली कर्मचारी, संविदाकर्मी, इंजीनियरों ने पूरे दिन काली पट्टी बांधकर विभागीय कार्य किया। एवं कार्यालय समय के बाद हाइडिल सिधारी कार्यालय के बाहर शांतिपूर्ण तरीके से विरोध सभा कर संकल्प लिया कि हम ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण का आखिरी श्वास तक विरोध करेंगे।
बिजली का निजीकरण गरीबों मेहनतकश आवाम, आम विद्युत उपभोक्ताओं, किसानों, मजदूरों, नौजवानों, छात्रों एवं बिजली कर्मचारियों तथा प्रदेश का विकास विरोधी है। तथा आर्थिक रूप से प्रदेश की जनता को बड़े पूंजीपतियों का गुलाम बनाने की साजिश है। विरोध सभा में वक्ताओं ने कहा कि बिजली कर्मचारियों एवं अभियंताओं की कड़ी मेहनत के कारण पावर कॉरपोरेशन के आंकड़ों के अनुसार एटी एंड सी लासेस वर्ष 2023 – 24 में घटकर मात्र 16.92 प्रतिशत रह गया। एवं राजस्व वसूली वर्ष 2023 – 24 में बढ़कर रुपया 62069 करोड़ हो गई है ( जिसमें सरकारी सब्सिडी और सरकारी विभागों पर बकाए की धनराशि सम्मिलित नहीं है)। जिसमें यह दर्शाता है कि बिजली की चोरी रोकने एवं राजस्व वसूली को बढ़ाने के लिए बिजली कर्मचारियों ने व्यापक सुधार किया है। भारत सरकार की रिवैंप योजना के अंतर्गत चालीस हजार करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व सिस्टम को मजबूत करने में लगाया जा रहा है। अप्रैल 2025 के बाद लाइनहानिया घटकर 12 प्रतिशत रह जाएगी और राजस्व वसूली में गुणात्मक सुधार होगा। ऐसे में अगर विद्युत वितरण व्यवस्था का निजीकरण किया जाता है तो बिजली के ढांचे में सुधार के लिए बड़े पैमाने पर खर्चा किए गए सरकारी धन का लाभ प्राइवेट कंपनियों को होगा। बिजली का निजीकरण दिनदहाड़े सरकारी धन व संपतियों की खुली लुट है जिसे रोक जाना चाहिए। वक्ताओं ने कहा कि प्रबंधन वितरण निगमों की परिसंपत्तियों को कौड़ियों के मोल पहले से तय निजी घरानों को बेच रहा है तथा इसी दृष्टि से ट्रांजेक्शन कंसल्टेंट नियुक्त किए जाने की योजना बनाई गई है। विरोध सभा की अध्यक्षता रविशंकर गुप्ता तथा संचालन प्रभुनारायण पाण्डेय प्रेमी ने किया। तथा संबोधन मुख्य रूप से सैय्यद मुनव्वर अली, धर्मु राम यादव, काशीनाथ गुप्ता, लालचंद यादव पहलवान, अभिषेक श्रीवास्तव आदि ने किया।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार

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