आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स के आह्वान पर आज आज़मगढ़ के बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओ ने उत्तर प्रदेश में दो विद्युत वितरण निगमों के अंतर्गत आने वाले 42 जनपदों के किये जा रहे बिजली के निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन किया।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, आज़मगढ़ और राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन, आज़मगढ़, विद्युत तकनीकी कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने विद्युत वितरण निगमों में घाटे के भ्रामक आंकड़ों देकर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय लिया है जिससे उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा व्याप्त है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मी विगत 07 माह से लगातार आंदोलन कर रहे हैं किंतु अत्यंत खेद का विषय है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने आज तक एक बार भी उनसे वार्ता नहीं की। उत्तर प्रदेश में सरकारी विभागो पर 14400 करोड रुपए का बिजली राजस्व का बकाया है। उत्तर प्रदेश सरकार की नीति के अनुसार किसानों को मुफ्त बिजली दी जाती है, गरीबी रेखा से नीचे के बिजली उपभोक्ताओं को 03 रुपए प्रति यूनिट की दर पर बिजली दी जाती है जबकि बिजली की लागत रुपए 07.85 पैसे प्रति यूनिट है। बुनकरों आदि को भी सब्सिडी दी जाती है। सब्सिडी की धनराशि ही लगभग 22000 करोड रुपए है। उत्तर प्रदेश सरकार इन सबको घाटा बताती है और इसी आधार पर निजीकरण का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड और शासन के कुछ बड़े अधिकारियों की कुछ चुनिंदा निजी घरानों के साथ मिली भगत है। वे लाखों करोड़ रुपए की बिजली की परिसंपत्तियों को कौड़ियों के मोल निजी घरानों को बेचना चाहते हैं। आज के धरने में मुख्य रुप से प्रभु नारायण पांडेय, राज नारायण सिंह, मुनव्वर अली, चन्द्रशेखर, धीरज पटेल, रमाकांत यादव, राजू, जय प्रकाश यादव आदि ने संबोधित कियज्ञं
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार