सृष्टिमीडिया आजमगढ़। सिर मुड़ाते ही ओले पड़े’ की कहावत इन दिनों बुजुर्ग पेंशन धारकों पर लागू हो रही है। योगी 2.0 की नई सरकार बनते ही उसके बाद से बुजुर्ग पेंशन धारकों की पेंशन रूकी हुई है। उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या करें, कहां जायें। घर से बैंक भी दो किमी दूर है। घर से बैंक, बैंक से घर का चक्कर लगाकर परेशान हो चुकी महिलाएं योगी सरकार और व्यवस्था को कोस रही हैं।
बेलहथा निवासी 80 वर्षीया महिला किशुनदेई पत्नी स्व.विक्रम राजभर ने बताया कि यही पेंशन तो मेरा एक सहारा है, पता नहीं सरकार देरी क्यों कर रही है। किशुनदेई का अपना परिवार तो है मगर इनसे कोई मतलब नहीं। लोगों से मांग कर अपना भरण पोषण कर रही है। 70 वर्षीया परमी देवी कहती हैं कि मेरे तीन बेटे हैं किसी काम के नहीं हैं। ये पेंश नही मेरा सहारा है। दवा के बिना एक दिन भी काम नहीं चलता है। 65 वर्षीय शारदा देवी पत्नी स्व.लालचंद भी बहुत गरीब है। पेंश नही उसका सहारा है। पूर्व प्रधान के घर मजदूरी करके अपना भरण पोषण करती है। डेवराडीह निवासी 65 वर्ष की लाची देवी पत्नी स्व.चन्दर राजभर का पेंशन अभी हाल ही में बना है लेकिन अभी पहली बार मिलना बाकी है। उनके पति का एक वर्ष पहले देहांत हो चुका है। उनके लिए अब यही पेंश नही सहारा है।
रिपोर्ट- ज्ञानेन्द्र कुमार