आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। प्रखरवक्ता, शिक्षाविद और गांधीवादी विचारधारा को आत्मसात करने वाले बाबू दीनानाथ लाल श्रीवास्तव की चतुर्थ पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन ए. एन. मेमोरियल चिल्ड्रेन स्कूल के प्रांगण में किया गया।
सर्वप्रथम श्रद्धांजलि सभा में विजय यादव अध्यक्ष जिला पंचायत आजमगढ़ द्वारा बाबू जी व मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन तथा पुष्पांजलि देकर प्रारंभ किया गया। तत्पश्चात हरिहरपुर घराने के प्रतिष्ठित गायक शंभू नाथ द्वारा कबीर भजन एवं गीतों के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इसके पश्चात वक्ताओं ने बाबूजी के व्यक्तित्व व कृतित्व विस्तृत रूप से चर्चा की जिनमें प्रमुख रूप से निरंकार प्रसाद श्रीवास्तव पूर्व प्राचार्य, भानु प्रताप श्रीवास्तव, डॉक्टर भक्तवत्सल, विवेक श्रीवास्तव, अजेंद्र राय, एडवोकेट संतोष कुमार श्रीवास्तव अविनाश चौहान शामिल रहे। आए हुए सभी अतिथियों स्वागत सलिल श्रीवास्तव व सुधांशु श्रीवास्तव ने किया। इस सत्र का संचालन नगर के प्रमुख रंगकर्मी सुनील दत्त विश्वकर्मा द्वारा किया गया। तत्पश्चात एक बृहद कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता साहित्यकार हरिहर पाठक द्वारा किया गया। इस कवि सम्मेलन में प्रमुख रूप से बालेदीन बेसहारा द्वारा भ्रूण हत्या पर एक मर्मस्पर्शी रचना प्रस्तुत कर समाज में व्याप्त बुराइयों के प्रति लोगों को आगाह किया। हास्य व्यंग की प्रमुख शिल्पकार शैलेंद्र मोहन राय अटपट ने जबसे पड़ल वरमाला हो रामा मुहवां पे ताला। सुनाकर लोगों को हंसा कर लोटपोट कर दिया। प्रख्यात गीतकार ईश्वर चंद्र त्रिपाठी ने मेरा जिंदा जमीर रहने दे फकीर हूं फकीर रहने दे। प्रसिद्ध गजलकार अशोक कुमार, अशोक चिरैयाकोटी ने दीप ऐसे मोहब्बत के जलते रहे हम अंधेरों से बाहर निकलते रहे सुना कर समा बांध दिया। गीतकार विजेंद्र प्रताप श्रीवास्तव करुण ने बाबू जी को समर्पित करते हुए अंधेरे में राह दिखाएं सदा सत्य पथ पर ले जाएं हारूं जब मैं कहीं अगर तो मंत्र विजय का जो बतलाए। सुना कर बाबूजी का स्मरण सबके मन मस्तिष्क में ताजा कर दिया। बैजनाथ यादव ने अपनी रचना सुनी ना गई वो सदा हो गया हूं मैं मिलने से पहले जुदा हो गया हूं। आशा सिंह ने भाजक भाज्य भागफल तेरे शेष हमारा रहने दो सुना कर माहौल को संजीदा कर दिया। श्वेता सिंह ने वह कौन कहां से आता आंखों से नजर नहीं आता । सरोज यादव ने मुफलिसों का दर्द है या झोपड़ी की पीर है मेरी कविता मेरे युग की द्रोपदी की चीर है सुनाया, राजनाथ राज ने विषधरों को दूध है बछड़ों को सूखी घास है सुनाकर समाज को सोचने के लिए मजबूर कर दिया डॉक्टर मुश्ताक़ अहमद उनको करता हूं जब स्मरण नींद में, रात भर चलता है जीवन मरण नींद में। अमरीश श्रीवास्तव ने बिना कनेक्शन लगे ही बिल आया है, यही तो बिजली विभाग की माया है। सुना कर व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार पर करारा प्रहार किया। घनश्याम यादव ने मैं हूं शहर का बाशिंदा कुछ दूर भले हूं मैं फिर भी है गांव मेरे दिल में जिंदा सुना कर माटी की खुशबू से सबको सराबोर कर दिया। कार्यक्रम का संचालन विजेंद्र प्रताप श्रीवास्तव करुण ने किया तथा आभार विद्यालय के प्रबंधक सुभाष चंद्र श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम के मध्य में अतरौलिया विधानसभा के विधायक संग्राम यादव द्वारा विद्यालय के मेधावी छात्रों को मेडल तथा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया इस अवसर पर प्रवीण कुमार सिंह, राजेंद्र प्रसाद यादव, अरविंद चित्रांश, हरिकेश विक्रम श्रीवास्तव ,प्रणीत श्रीवास्तव हनी, सूरज प्रकाश श्रीवास्तव, डा. भक्तवत्सल, डॉक्टर सलमानी, सिद्धार्थ राम सिंह, विनोद अग्रवाल, सुरेन्द्र प्रताप सिंह, राय अनूप श्रीवास्तव, अशोक अस्थाना, अजय गौतम, गोविंद दूबे, संतोष श्रीवास्तव फिल्म अभिनेता आदि सैकड़ों की संख्या में उपस्थित श्रोता गण देर रात तक कवि सम्मेलन का आनंद लेते रहे।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार