भाषा प्रवाह में है तो ही बचेगी: डॉ. शिव कुमार निगम

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आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। भारतीय लोक संस्कृति एवं भोजपुरी भाषा साहित्य कला संस्कृति के सर्वांगीण विकास हेतु आयोजित अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी संगम भारत के दूसरे दिन राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में भोजपुरी भाषा, साहित्य और कला एवं भारतीय लोक संस्कृति दशा एवं दिशा विषयक संवाद सत्रों का आयोजन किया गया। अतिथियों का स्वागत कार्यक्रम के संयोजक अरविंद चित्रांश ने किया।
संगोष्ठी की शुरुआत प्रो.गीता सिंह, डॉ.द्विजराम यादव, डॉ. शिव कुमार निगम और डॉ.शशि भूषण प्रशांत ने संयुक्त रूप से मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और द्वीप प्रज्जवलित करके किया। तकनीकी सत्र में मुख्य वक्ता भारतीय उच्च आयोग, त्रिनिदाद एवं टोबैगो भाषा एवं संस्कृति सचिव द्वितीय डॉ. शिव कुमार निगम ने कहा कि भाषा अगर प्रवाह में है तो बनी और बची रहेगी। भोजपुरी भाषा इसीलिए विकसित हो रही है कि उसका प्रवाह है। उन्होंने कहा कि त्रिनिदाद में भारतीय सिनेमा के गाने लोग बहुत रुचिकर तरीके से सुनते हैं। इस समय चटनी म्यूजिक जो कि भोजपुरी और अंग्रेजी की लाइनों को जोड़कर बनाया गया है काफी लोकप्रिय हो रहा है।
डॉ. द्विजराम यादव ने भोजपुरी भाषा के विकास पर विस्तार से अपनी बात रखी। अंतर्राष्ट्रीय साहित्यकार मॉरीशस लीलाधर हीरालाल ने कहा कि भोजपुरी भाषा की तरफ रुझान बना रहे, आज के समय में यह बहुत कठिन काम है। मॉरीशस के युवा अध्ययन के लिए भोजपुरी भाषा का बहुत कम चयन कर रहे हैं। भोजपुरी में बहुत से लोगों को बातचीत करते हुए सुना जा सकता है।
अंडमान निकोबार से आए हुए भोजपुरी समाज के अशोक कुमार शर्मा ने कहा कि अंडमान में भोजपुरी संस्कृति को बचाए रखने के लिए 2019 में भोजपुरी समाज का गठन कर नई पीढ़ी को जोड़ने का कार्य किया जा रहा है।
कार्यक्रम को असिस्टेंट प्रो. डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर, प्रो.जगदंबा प्रसाद दुबे, डॉ. प्रवेश सिंह, डॉ.शशि भूषण प्रशांत, प्रो.हसीन खान, नेपाल से आई साहित्यकार पूजा पवार, डॉ.निर्मल श्रीवास्तव, अंडमान निकोबार की साहित्यकार उषा शर्मा ने भी संबोधित किया। संचालन जनार्दन सिंह ने किया।
रिपोर्ट-दीपू खरवार

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