आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। होम्योपैथिक मेडिकल एसोसिएशन आफ इंडिया आजमगढ़ की ओर से होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के जनक डा. हैनीमन की 181वीं पुण्यतिथि नगर के बदरका स्थित डा. एस. के राय के आवास पर मनाई गई। सर्वप्रथम डा. हैनीमन के चित्र पर चिकित्सकों द्वारा माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किया गया।
पुण्यतिथि को संबोधित करते हुए हमाई के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य डा. भक्तवत्सल ने कहा कि हैनीमन ने होम्योपैथी पद्धति का अविष्कार कर चिकित्सा विज्ञान को नर्इ्र दिशा प्रदान की। इस चिकित्सा पद्धति में डा. हैनीमन के सिद्धांतों पर चलकर सफलता हासिल की जा सकती है।
श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुए होम्योपैथिक एसोसिएशन, आजमगढ़ के अध्यक्ष डा. देवेश दूबे ने कहा कि दुनिया के कई देशों में होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति अपना महत्वपूर्ण स्थान हासिल कर चुकी है। भारत में इसकी लोकप्रियता दूसरे स्थान पर है, जिससे करोड़ों लोग लाभांवित हो रहे है।
डा बी पांडेय ने कहा कि होम्योपैथी से हम असाध्य रोगों का भी उपचार कर रहे है, जो बगैर मानव शरीर को प्रभावी किए उसके रोगों के लिए कारगर साबित हो रही है। डा. एस. सी. सैनी ने हैनीमन के जीवन पर विस्तार से चर्चा किया और लगातार इस पर वृहद सम्मेलन कर इसके शोध को प्रभावी करने की बात कहीं। कार्यक्रम के संयोजक डा. अभिषेक राय ने आंगतुकों का स्वागत करते हुए आभार जताया। संचालन डा सी.जी. मौर्य ने किया।
इस अवसर पर डा नवीन दूबे, डा एस.के. राय, डा नेहा दूबे, डा अनुराग श्रीवास्तव, नरेंद्र श्रीवास्तव, डा अनुतोष वत्सल, डा सिद्धांत, डा. एच.पी. त्यागी, संदीप द्विवेदी, मो. आसिफ आदि मौजूद रहे।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार