आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। डॉ. हैनीमैन एजुकेशनल एंड डेवलेपमेंट सोसायटी द्वारा लखनऊ कन्वेंशन सेंटर में दो दिवसीय 10वीं राष्ट्रीय होम्योपैथिक कांफ्रेंस होमकॉन 2025 का आयोजन किया गया। इसमें केंद्रीय होमियोपैथी चिकित्सा परिषद के पूूर्व सदस्य डॉ. भक्तवत्सल को होमियोपैथिक चिकित्सा के क्षेत्र में विशेष योगदान तथा होमियोपैथी शिक्षा के विकास के लिए किए गए सराहनीय प्रयास के लिए लखनऊ के ख्यातिलब्ध चिकित्सक डा. केसी खत्री अवार्ड से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि हाईकोर्ट लखनऊ के न्यायमूर्ति मंजीत शुक्ला ने डॉ. हैनीमैन के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन कर किया। सेमिनार में देश-विदेश से लगभग 650 शिक्षक, छात्र- छात्राओं ने हिस्सा लिया और अपने शोध प्रस्तुत किए। न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला ने कहा कि भारत की सभी चिकित्सा पद्धतियों का आपस में तुलनात्मक अध्ययन होना चाहिए। एमएलसी अंगद कुमार सिंह ने कहा कि यदि होम्योपैथी जनता के बीच में विश्वास दिलाना है तो डाक्टरों को अपना विजन और होम्योपैथी पर समर्पण को ध्यान में रखना होगा। एमएलसी अवनीश कुमार सिंह ने कहा कि भारत के लिए होम्योपैथी सबसे उपयुक्त चिकित्सा पद्धति है। डा. आनंद कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि गहन अध्ययन शोध से मानवता के कल्याण के लिए जन-जन के बीच विश्वास का वातावरण बनाना होगा। प्रो. डॉ. रामजी सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य मामलों में सभी जगह से निराश मरीज को होम्योपैथी पर भरोसा रहता है। उन्होंने आगाह किया कि होमियोपैथिक चिकित्सकों को होमियोपैथी की ही चिकित्सा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। सरकार को भी चाहिए कि इन्हे दूूसरी विधा अपनाने के लिए बाध्य न करे।
अध्यक्ष डा. भक्तवत्सल ने कहा कि डा. हैनिमन एक मनीषी थे। उन्होने होमियोपैथी का आविष्कार करके सम समः समेत के सिद्धांत पर आधारित है जो कठिन से कठिन रोगों का निदान सरलता से कर देती है। आज नई तरह-तरह की बिमारियों का उद्भव हो रहा है जो आज भी मार्डन मेडिसिन के लिए अबूझ पहेली बनी हुई है, परन्तु होम्योपैथी में इन सभी बीमारियों का निदान सम्भव है। बस इसके लिए जरूरत है कि हम हैनिमैन के मूल सिद्धांतों पर चलते रहें।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार