बिना पांव पखारे नैया ना चढ़इबैं

शेयर करे

रानीकीसराय आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। अवंतिकापुरी आवंक में चल रही राम लीला मंचन में वन को गये राम सीता लक्ष्मण को गंगा पार जाने के लिए केवट कहता है कि बगैर पांव को पखारे नैया पर नहीं बैठायेंगे। कहीं हमारी नाव भी न सोने की हो जाय। रामलीला मंचन देख देर रात तक लोग मंत्रमुग्ध रहे।
अयोध्या से गये लोग सोये ही रहते हैं और श्रीराम, सीता और लक्ष्मण संग बन में चले जाते हैं। सभी हैरानी से खोज कर वापस अयोध्या लौट जाते हैं। गंगा के किनारे पहुंचने पर केवटांे का राजा पहुंचते हैं और राम से उनके इस तरह वन में आने का कारण जानने के बाद नौका के लिए केवट को बुलाते हैं। केवट जब राम को नौका पर बैठाने की बात आती है तो रोक देता है और कहता है बिन पांव पखारे नैया पर बैठईयो ना। यह सुन राम जी मुस्कुराते हैं। केवट कहता है कहीं मेरी नाव भी सोने की हो गयी तो मैं कैसे दूसरी नांव की व्यवस्था करुंगा। केवट की पत्नी आती है साथ में लाये गये पात्र में केवट राम के पैर धो कर स्वयं और पत्नी को पिलाता है फिर गंगा पार छोड़ता है। यहां से वन में पेड़ के नीचे केवट राम सीता के सोने की व्यवस्था हेतु पत्तलो को इकट्ठा करते हैं। अगले दिन जब राम वन में आगे बढ़ते हैं तो राजा केवट को कहते हैं कि आगे की यात्रा हम लोग तय कर लेंगे। केवट काफी अनुमय करते हैं लेकिन राम समझा कर वापस भेज देते हैं। देर रात तक मंचन चलता रहा। इस मौके पर अवंतिका समिति के विनोद राजभर, अनिल प्रजापति, अरुण प्रजापति, संतोष कनौजिया, विनोद अमरजीत, हेमंत यादव आदि उपस्थित रहे।
रिपोर्ट-प्रदीप वर्मा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *