फसल अवशेष प्रबंधन करने वाले कृषि यंत्रो का करें प्रयोग: डीएम

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आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट परिसर से फसल अवशेष प्रबंधन के संबंध मे जागरूकता हेतु तीन प्रचार वाहनो को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने बताया कि यह प्रचार वाहन रोस्टर के अनुसार जनपद के सभी विकास खण्डों में पराली जलाने की समस्या से प्रभावित क्षेत्रों मंे जाकर फसल अवशेष जलाने से होने वाले नुकसान के बारे मंे किसानों को जागरूक करेगी।
जिलाधिकारी द्वारा निर्देशित किया गया कि जिन विकास खण्डो में विगत तीन वर्षाे में पराली जलने की घटना प्रकाश में आई है, वहां विशेष प्रचार अभियान चलाया जाय। किसान कम्बाईन हार्वेस्टर से कटाई के समय एसएमएस, मल्चर, सुपर सीडर तथा अन्य फसल अवशेष प्रबन्धन के कृषि यंत्रो का अनिवार्य रूप से प्रयोग करें, अन्यथा वाहन सीज कर दिया जायेगा।
उप कृषि निदेशक आशीष कुमार ने बताया कि उत्तर प्रदेश शासन एवं राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा प्रदत्त निर्देश के क्रम में कृषि विभाग द्वारा जनपद में धान की पराली एवं गन्ने की पत्ती तथा कूड़ा अपशिष्ट को जलाये जाने सेे रोकने एवं इसका समुचित प्रबन्धन करते हुए इससे कम्पोस्ट खाद तैयार कर अगली फसल में प्रयोग किये जाने हेतु कृषकों को विभिन्न माध्यमों से जागरूक किया जा रहा है। उन्होने बताया कि खेत में फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण की क्षति के साथ-साथ मृदा की संरचना को भी नुकसान पहुंचता है और खेत के मित्र कीट मर जाते हैं, जिससे फसल की उत्पादकता एवं मानव स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचता है। उन्होने बताया कि फसल अवशेष जलाने पर 2500 से लेकर 15000 रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है।
रिपोर्ट-सुबास लाल

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