ईदगाह, मस्जिद व शिवालयों के आसपास की जाय सफाई: डीएम

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आजमगढ़। जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि शहरी, ग्रामीण क्षेत्रों में मस्जिद, ईदगाह एवं शिवालय परिसर तथा आसपास के क्षेत्रों की साफ-सफाई सुनिश्चित किया जाय। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कांवड़ यात्रा के लिए जल लेने जाने वाले मार्ग की सफाई एवं सड़कों की मरम्मत आदि कार्यों को समय से सुनिश्चित किया जाय। उन्होंने कहा कि विद्युत व्यवस्था, जल निकासी एवं सड़कों के गड्ढे भरने तथा पंच वर्क को तत्काल किया जाना सुनिश्चित करें।
जिलाधिकारी ने उक्त निर्देश गुरूवार की देर शाम कलेक्ट्रेट सभागार में आगामी बकरीद, श्रावण मास की शिवरात्रि एवं रक्षा बंधन के पर्व को सकुशल संपन्न कराने के दृष्टिगत अधिकारियों, धर्मगुरुओं के साथ समीक्षा बैठक में दी। उन्होंने कहा कि शासन एवं जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है कि सभी धार्मिक त्योहारों के आयोजन को शांति, सौहार्द एवं भाईचारे के साथ सकुशल संपन्न कराया जाय। उन्होंने कहा कि किसी भी पर्व में कोई नई परंपरा को नहीं शुरू किया जाएगा। सड़क, पार्क, चौराहे या किसी सार्वजनिक स्थानों पर किसी भी प्रकार की नई परंपरा की शुरुआत न हो, इसको प्रत्येक दशा में सुनिश्चित किया जाय। उन्होंने मुख्य पशु चिकित्साधिकारी एवं अधिशासी अधिकारी को निर्देश दिया कि पर्व के दिन प्रतिबंधित जानवर किसी भी दशा में बाड़े से बाहर घूमते हुए न पाए जाए। उन्होंने कहा कि जानवरों के अवशेष को समय से उठाना सुनिश्चित करें तथा अवशेष ले जाने वाली गाड़ी ढकी होनी चाहिए। उन्होंने अधिशासी अधिकारी नगर पालिका को निर्देश दिया कि कसाई मोहल्ले में कूड़े उठाने वाली गाड़ी लगातार तीन दिन तक दो बार जाकर कूड़ा उठाना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि पशु अवशेष को दबाने वाले गड्ढों को जिस दिन खोदा जाए, उसी दिन प्रत्येक दशा में बंद करना सुनिश्चित करें, ताकि किसी अप्रिय घटना का सामना न करना पड़े।
जिलाधिकारी ने सीएमओ को निर्देश दिए कि 5 बड़े शिवालयों पर हेल्थ कैंप लगाएं एवं चिकित्सकों की तैनाती भी सुनिश्चित करें। उन्होंने निर्देश दिया कि जिन रूटों पर कावड़ यात्रा चलेगी, वहां पर हेल्थ कैंप लगाएं। हेल्थ कैंप में दवाएं भी उपलब्ध होनी चाहिए। पुलिस अधीक्षक अनुराग आर्य ने कहा कि शासन का स्पष्ट निर्देश है कि पर्व का आयोजन परंपरागत तरीके से ही किया जाए। उन्होंने कहा कि गांव, देहात, मोहल्ले में किसी नई परंपरा की शुरुआत नहीं होनी चाहिए। सार्वजनिक स्थानों पर कुर्बानी किसी भी दशा में नहीं होनी चाहिए।

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