मंडलीय अस्पताल समेत विभिन्न सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों से प्रशिक्षण कर चुके हैं पूर्ण
मोदी सरकार के कौशल विकास मिशन योजना के तहत अफसरानों ने नौकरी देने का दिया था निर्देश
वाराणसी (सृष्टि मीडिया)। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र बनारस में ITI दक्षता के छात्र नौकरी के लिए परेशान और चिंतित हैं। कोरोनाकाल की दूसरी लहर के दौरान केंद्र सरकार की कौशल विकास मिशन योजना के तहत जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा ने कोविड की रोकथाम के अंतर्गत एक प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा खींची थी। इस योजना में ITI दक्षता प्राप्त छात्रों को रोजगार की गारंटी यानी ‘On Job Training’ दिलाने का निर्देश दिया गया था जो अब ‘बेतुका’ साबित हो रहा है। इस कारण छात्र परेशान हैं और परिजन निराश व चिंतित। कोरोनाकाल के समय ‘जहाँ बीमार, वहीं उपचार’ को ध्यान में रखते हुए अफसरी आदेश के बाद आइटीआइ दक्ष के अभ्यर्थियों ने इस योजना का लाभ लेकर रोजगार प्राप्त हो जाने का जो सपना देखा था उसे सरकारी तंत्र तोड़ चुका है। शर्मनाक यह है कि यह मामला प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र बनारस का है। एक तरफ जहाँ सरकार युवाओं को नौकरी देने की बात का ढिंढोरा पीट रही है वहीं उन्हीं की योजना में ट्रेनिंग दे चुके लगभग 100 छात्र मायूस और निराश हो चुके हैं।
पूरी हो चुकी है ट्रेनिग लेकिन नहीं मिली नौकरी
बतादें, आइटीआइ दक्षता से जुड़े अभ्यर्थियों ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 3.0 के अंतर्गत ‘ट्रेनिंग’ के बाद बनारस के मंडलीय अस्पताल जैसे सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में प्रशिक्षण कार्य यानी जीडीए को सफलतापूर्वक पूर्ण कर लिया है। प्रशिक्षण पूर्ण होने के बाद अभ्यर्थियों को अनुभव प्रमाण-पत्र भी दे दिया गया लेकिन नौकरी नहीं जबकि सरकार के आदेशानुसार जिलाधिकारी ने ‘On Job Training’ का निर्देश दिया था। जिलाधिकारी ने अपने आदेश में कहा था कि इन अभ्यर्थियों को कोविड ही नहीं अन्य आपदाओं या गम्भीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों की देखभाल के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इन अभ्यर्थियों को टेक्नीशियन और ड्यूटी असिस्टेंट की नौकरी मुहैया कराने का निर्देश भी दिया गया था।
प्रायवेट संस्थाओं में भेजने की धमकी दी गई थी

प्रधानमंत्री की इस योजना में अभ्यर्थियों को सिर्फ आश्वासन ही नहीं मिला बल्कि अफसरानों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार और लेटलतीफी की भी ‘बू’ आ रही है। अभ्यर्थियों को बीच-बीच में प्रायवेट संस्थाओं में भेजने की धमकी दी गई थी जबकि उन्हें सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रशिक्षण देने का निर्देश दिया गया था। नाम न बताने की शर्त पर स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रशिक्षणरत अभ्यर्थियों ने चिंतित और मायूस होकर बताया कि प्रशिक्षण के दौरान हमें 125 रुपये प्रतिदिन देने की बात कही गई थी जो कभी-कभार आता है या यूँ कहे कि अभी पूरी राशि नहीं आई है। प्रशिक्षण पूर्ण कर चुके अभ्यर्थियों का भी यही हाल है। उन्हें एक-दो महीने पहले ही मंडलीय चिकित्सालय ने अनुभव प्रमाण पत्र थमा दिया है लेकिन जॉब देने को लेकर सभी सम्बंधित अफसरों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। अभ्यर्थियों ने बताया कि हमलोगों ने भरपूर मेहनत कर प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया है इसके बाद कौशल विकास मिशन के कार्यालय एक परीक्षा भी हो चुकी है, महीनों बीत जाने के बावजूद आजतक इसका रिज़ल्ट नहीं मिला है। बात करने पर अधिकारी सिर्फ आश्वासन देते हैं। इस मामले को लेकर कुछ दिन पहले भी जिला मुख्यालय पर छात्रों ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए प्रदर्शन भी किया था। अभ्यर्थियों के सामने नौकरी की भारी संकट खड़ी हो गई है।
रिपोर्ट : विशेष संवाददाता