गंदगी, कचरा और जलकुंभी है राजातालाब के ऐतिहासिक संगम तालाब की पहचान

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वाराणसी (सृष्टि मीडिया)। राजातालाब, आज जहां जल जीवन हरियाली को लेकर लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर तालाब का निर्माण, पुराने तालाबों का जीर्णोद्धार और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तालाबों से अतिक्रमण हटाने में पूरा प्रशासनिक अमला जुटा है वहीं राजातालाब तहसील और आराजी लाईन ब्लाक मुख्यालय स्थित कचनार गाँव का ऐतिहासिक संगम तालाब अधिकारियों और जनप्रतिनीधियों की उपेक्षा से गंदे नाले में तब्दील हो गया है। लोगों का कहना है कि एक दशक पहले मनरेगा योजना से नाम मात्र भर इसकी सफाई कराई गई थी लेकिन तालाब के जीर्णोद्धार के लिए कभी कारगर प्रयास नहीं किए गए।

सफाई के अभाव में पूरे तालाब पर जलकुंभी का पहरा।

बतादें,अभी स्थिति यह है कि सरकारी अनदेखी के कारण इन दिनों तालाब को जलकुंभी के बढ़ते जंगलों ने पूरी तरह अपने आगोश में ले लिया है। इससे जलस्तर घटने के साथ पानी दुर्गंध युक्त और विषाक्त हो चला है। पूरा तालाब कूड़े-कचरे से पट गया है। इसके आसपास रोज हो रहे अतिक्रमण और बढ़ते प्रदूषण से क्षेत्रवासी बेहद चिंतित हैं। एक समय था जब इस तालाब पर राजातालाब वासी गर्व करते थे और आज इसकी दुर्दशा को देखकर सभी का मन व्यथित है। जानकार बताते हैं कि तीन दशक पहले तक इस तालाब में घंटों नहाना, कपड़े धोना, पशुओं को पानी पिलाना और तालाब के महार पर घूमने जाना लोगों की आदतों में शुमार था। यहां तक कि इस तालाब के पानी का उपयोग प्रमुख मंदिरों में होता था। आज स्थिति ठीक इसके विपरीत है। अब लोग पानी को हाथ में लेना भी पसंद नहीं करते हैं। इस तालाब में बाजार का अधिकांश कूड़ा-कचरा बेरोकटोक फेंका जा रहा है। तालाब के आस पास अतिक्रमित घरों का गंदा पानी इसी में बहाया जा रहा है। तालाब के किनारे शौच करना और गंदगी के ढेर पर सुअरों का जमावड़ा तालाब की दुर्दशा की सच्चाई है। सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने बताया कि उक्त तालाब के जिर्णोद्धार के लिए कई बार ज़िम्मेदार लोगों से गुहार लगाया गया लेकिन आजतक कुछ नहीं हुआ।

रिपोर्ट : अमन विश्वकर्मा

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