BAMS में ‘दाखिला’ देने के आरोपों से घिरीं संतुष्टि हॉस्पिटल की निदेशक डॉ. रितु गर्ग

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जांच में देखा जा रहा है कि संतुष्टि हॉस्पिटल व नर्सिंग कॉलेज, चुनार का आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज कैसे अस्तित्व में आया?

वाराणसी ( सृष्टि मीडिया)। नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) 2021 में असफलता के बाद भी 70 अभ्यर्थियों को बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) में दाखिला देने के आरोपों से घिरीं संतुष्टि आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल चुनार मीरजापुर की निदेशक डॉ. रितु गर्ग की संपत्तियों की भी जांच होगी। इसका ब्योरा एसटीएफ की लखनऊ इकाई जुटा रही है। एसटीएफ के अफसरों के मुताबिक, उनकी और उनके पति डॉ. संजय गर्ग की संपत्तियों से जुड़ी जानकारी जुटाई जा रही है। देखा जा रहा है कि वाराणसी के सुंदरपुर में संतुष्टि हॉस्पिटल व नर्सिंग कॉलेज, चुनार का आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज कैसे अस्तित्व में आया? नर्सिंग कॉलेज और मेडिकल कॉलेज का संचालन कैसे किया जा रहा था? जमीन कैसे ली की गई? मान्यता संबंधी मानकों का पालन किया गया या नहीं? वहीं, एसटीएफ के अफसरों ने बताया कि बनारस के एक और हॉस्पिटल संचालक की भूमिका इस फर्जीवाड़े में संदिग्ध मिली है। उसका भी एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज है। उस कॉलेज में भी फर्जी तरीके से आयुष विभाग के स्नातक स्तरीय कोर्स में दाखिला कराया गया है। साक्ष्य जुटाया जा रहा है और जल्द ही उस हॉस्पिटल संचालक के खिलाफ भी तगड़ी कार्रवाई की जाएगी।

अन्य करीबियों की भूमिका की जांच जारी

बीएएमएस में गलत तरीके से दाखिले के आरोप में ही निदेशक डॉ. रितु गर्ग को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया है। अब उनके पति डॉ. संजय गर्ग और अन्य करीबियों की भूमिका की जांच एसटीएफ की लखनऊ इकाई कर रही है। एसटीएफ के मुताबिक संतुष्टि आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में अभ्यर्थियों के फर्जी दाखिले किए गए थे। 70 मामलों में पुष्टि हो चुकी है। चार मामलों की जांच जारी है। अभ्यर्थियों से साक्ष्य मांगें गए हैं। इस फर्जीवाड़े में मोटी रकम वसूले जाने के तथ्य भी सामने आए हैं। जांच एजेंसी ने हर अभ्यर्थी से 50 हजार से पांच लाख रुपये वसूले जाने की बात कही है। यह भी कहा है कि ज्यादातर अभ्यर्थियों से पहली बार में ढाई लाख रुपये शुल्क जमा कराए गए। मामले की जांच अभी जारी है। कई और नए तथ्यों के सामने आने की संभावना है।

महानिदेशालय से मिले डेटा से छेड़छाड़ की

नीट की ऑनलाइन काउंसिलिंग कराने के लिए आयुष विभाग के पास आईटी सेल की व्यवस्था नहीं थी। लिहाजा, सरकार से मान्यता प्राप्त तकनीकी संस्था अपट्राॅन पॉवरट्राॅनिक्स लिमिटेड को नामित किया गया। इस संस्था ने वी-3 सॉफ्ट सॉल्यूशन लिमिटेड को अपना वेंडर बनाया और ऑनलाइन काउंसिलिंग की जिम्मेदारी सौंप दी। आरोप है कि वी-3 सॉफ्ट सॉल्यूशन लिमिटेड के कुलदीप सिंह ने महानिदेशालय से मिले डेटा से छेड़छाड़ की। साथ ही अयोग्य अभ्यर्थियों और उनके कूटरचित दस्तावेजों को सत्यापित करते हुए उन्हें बीएएमएस की सीटें आवंटित कर दीं। मूल डेटा भी नष्ट कर दिया गया। बाद में एनआईसी से डेटा लिया गया, फर्जीवाड़ा खुलकर सामने आ सका। एसटीएफ के अफसरों के अनुसार, बीएएमएस सहित मेडिकल के अन्य कोर्स में दाखिला कराने का प्रदेशव्यापी गिरोह है। एजेंट के माध्यम से सीटें भरी जाती हैं। एजेंट को मोटा कमीशन भी दिया जाता है। अब एसटीएफ एजेंटों की तलाश कर रही है। जांच एजेंसी का कहना है कि एजेंटों के खिलाफ साक्ष्य मिले हैं। आरोपियों को गिरफ्तार करके जल्द ही जेल भेजा जाएगा।

मेरी प्रतिष्ठा को बहुत गहरी चोट पहुंचेगी

दूसरी तरफ, लखनऊ के हजरतगंज थाने से मंगलवार को अदालत ले जाए जाने के दौरान डॉ. रितु गर्ग बेहद ही घबराईं और डरी हुई थीं। एसटीएफ अफसरों ने बताया कि वह बार-बार यही कह रही थीं कि वाराणसी में मेरी प्रतिष्ठा को बहुत गहरी चोट पहुंचेगी। आप लोग हमारे बारे में जानते नहीं हैं। बहुत गलत कर रहे हैं। हमारे साथ यह क्या हो गया? हमें एक मौका दिया जाए। एसटीएफ और पुलिस के अफसरों ने उन्हें समझाया कि आपराधिक मुकदमे में पर्याप्त साक्ष्य के आधार पर गिरफ्तार किया गया है। इसके बावजूद वह जेल भेजे जाने से पहले तक अफसरों से गुहार लगाती रहीं कि उन्हें छोड़ दिया जाए।

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