फूलपुर आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। केन्द्र सरकार द्वारा लागू की गई एनआरसी के भय से अल्पसंख्यक समुदाय में जन्म प्रमाण पत्र प्राप्ति के लिए साठ पैसठ वर्षीय अल्पसख्यक बुजुर्ग तहसील और ब्लाक का चक्कर लगाने को मजबूर हैं। इसके साथ ही छात्र छात्राओं को भी जन्म प्रमाणपत्र की जरूरत होती है।
जन्म प्रमाणपत्र के लिए प्रतिदिन सैकड़ो आवेदन तहसील मुख्यालय से ब्लाक मुख्यालय पर आ रहे हैं। इसमें मुस्लिम समुदाय के लोग एनआरसी के चक्कर में बनवा रहे हैं। वहीं छोटे बच्चों का दाखिला हो या आधार में संशोधन कराना हो किसी भी त्रुटि और पहचान के लिए जन्म प्रमाण पत्र की आवश्यकता पड़ रही है। वर्तमान समय में अल्पसंख्यक समुदाय में छोटे से बड़े बूढ़े सभी जन्म प्रमाण पत्र बनवाने की होड़ लगे हैं। परिवार में प्रत्येक व्यक्ति का जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए घर का मुखिया ब्लाक और तहसील का चक्कर लगा रहा है। महीनों चक्कर लगाने के बाद बुजुर्ग के प्रमाण पत्र की स्वीकृति नहीं मिल रही है। दस रुपये का स्टाम्प तहसील में चालीस रुपये में बेचा जा रहा है। प्रार्थना पत्र के साथ शपथ पत्र का 150 से 180 रुपये लिया जा रहा है। इसके बाद तहसील से ब्लाक तक आवेदक का शोषण हो रहा है। सब मिलाकर सामर्थवान को कोई समस्या नहीं है। अनजान गरीब ग्रामीण महीनों बाद जन्म प्रमाण पत्र प्राप्त करके भी खुश हैं।
इस सम्बंध में खण्ड विकास अधिकारी इशरत रोमेल ने बताया कि बुजुर्ग या बच्चा सभी की रिपोर्ट तहसील मुख्यालय भेजी जा रही है। मृत्यु और जन्म प्रमाण 20 दिन के अन्दर सूचित करने या आवेदन देने वाले व्यक्ति को निशुल्क जारी किया जाता है। ग्राम पंचायत अधिकारी या ब्लाक पर किसी प्रकार का कोई सुविधा शुल्क मांगता है तो मुझे अवगत कराएं। सही पाए जाने पर सख्त कार्यवाही होगी।
रिपोर्ट-मुन्ना पाण्डेय