तीसरे दिन भी अनशन पर अड़ा रहा धुरिया समाज

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आजमगढ़। धुरिया समाज कलेक्ट्रेट स्थित रिक्शा स्टैंड पर बुधवार को प्रमाण पत्र के लिए तीसरे दिन भी अड़ा रहा। वक्ताओं ने कहा कि धुरिया समाज प्राचीन काल से ही उत्तर प्रदेश के लगभग प्रत्येक गांव में निवास करता है। प्रदेश में अंधेर नगरी चौपट राजा की कहावत चरितार्थ हो रही है।
अनशन को संबोधित करते हुए रामचंद्र गोंड़ ने कहा कि उत्तर प्रदेश में धीवर, गोड़िया, खरवार, तुरैहा, कमकर, धुरिया, सिंहड़िया, रूारूक, रैकवार, रवानी जाति के लोग निवास करते हैं जिनके सरकारी अभिलेखों में कहा लिखा है जबकि ये अलग-अलग जातियां हैं। उन्होंने कहा कि अलग-अलग वर्ग में हैं लेकिन जिला व तहसील प्रशासन इन्हें जान बूझकर कहार का प्रमाण पत्र देता है। गोड़िया, घरूक, रैकवार किसी वर्ग में नहीं हैं लेकिन इन्हें धड़ल्ले से कहार पिछड़े वर्ग का प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। प्रदेश के जिलाधिकारी व तहसीलदार बतावें कि धीमर, धुरिया, कमकर, खरवार, घरूक, गोड़िया, तुरैहा, रैकवार, रवानी कौन हैं? उनको कितना प्रमाण पत्र जारी हुआ है और शासनादेश में उल्लिखित जातियां कौन हैं। उन्होंने कहा कि शासन ने डीएम से जवाब मांगा है कि धुरिया की सुख्या 130 वर्ष पूर्व आजमगढ़ में 27010 थी तो वे कौन लोग हैं, उन्हें चिन्हित कर प्रमाण पत्र जारी करें। यदि जिलाधिकारी ने इन्हें चिन्हित कर प्रमाण पत्र जारी नहीं किया तो आमरण अनशन जारी रहेगा। इस दौरान किसी के साथ कोई अप्रिय घटना घटती है तो उसकी समस्त जिम्मेदारी जिलाधिकारी की होगी। इस अवसर पर लोचन गोड़, नीरज गोंड़, गोपाल गोड़, लालचन्द गोंड़, रामचन्द्र गोंड़ आदि उपस्थित रहे।
रिपोर्ट… ज्ञानेन्द्र कुमार

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