आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। सुबह कलश यात्रा के बाद भी चेहरे पर थकान के भाव नहीं दिखे। भक्तों ने राणी सती दादी की झांकी सजाई और अखंड ज्योति जलने के साथ पूजन-अर्चन शुरू हो गया। शाम होने के साथ श्रद्धालुओं के पहुंचने का क्रम शुरू हुआ तो देर रात तक बना रहा। कोलकाता के प्रसिद्ध भजन गायक सौरभ मधुकर ने दादी मां के अखंड पाठ की शरुआत की, तो साथ में अन्य लोगों ने भी दोहराया।
हर आने वाले भक्त दादी जी की झांकी का दर्शन-पूजन किया और उसके बाद पाठ में शामिल होते गए। देर रात पाठ का समापन हुआ और उसके बाद शुरू हो गई भजन की श्रृंखला।
सौरभ मधुकर ने ’ल्याया थारी चुनरी, करियो मां स्वीकार, इसमें सांचा- सांचा हीरा और मोतियों की भरमार’ सुनाकर लोगों को झूमने पर विवश कर दिया। वहीं ’छुन-छुन बाजे मइया पैजनिया’ और ’हाथ में त्रिशूल गरवा सोनवा के हार रुपवा मनवा मोहे ला’ आदि सुनाकर भक्तों को भक्ति के रंग में सराबोर करने का पूरा प्रयास किया। अंत में मां की आरती के साथ सभी ने भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया। कार्यक्रम स्थल से घर लौटने वालों को ले जाने के बाद प्रसाद का पैकेट भी वितरण किया जा रहा था। इस मौके पर पारितोष रुंगटा, संजय डालमिया, सौरभ डालमिया, अभिषेक खंडेलिया आदि उपस्थित थे, तो वहीं सहायक पुलिस अधीक्षक शुभम अग्रवाल, एएसपी ग्रामीण चिराग जैन ने भी हाजिरी लगाई।
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महिलाओं को मेहंदी-बिंदी और बच्चों को टाफी
आजमगढ़। राणी सती महोत्सव में वैसे तो सभी को प्रसाद का वितरण किया गया। किसी को फल तो किसी को मिष्ठान, लेकिन खासतौर से महिलाओं को मां के आशीर्वाद स्वरूप मेहंदी और बिंदी तो बच्चों और युवाओं को मां के प्यार स्वरूप चाकलेट बांटा गया। माना जाता है कि महोत्सव के छठवें दिन अखंड सुहाग का पर्व हरतालिका जीत आता है और उस दिन मां के प्रसाद स्वरूप प्राप्त बिंदी और मेहंदी को महिलाएं अपने श्रृंगार में शामिल करती है।
रिपोर्ट-सुबास लाल