फूलपुर आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। गोवंशीय जानवरों की हत्या को योगी सरकार ने बचा लिया। परन्तु तिल-तिल मरने से इन्हे कौन बचाएगा। एक चाय की दुकान पर चाय की चुस्की लेते लोग आपस में गोवंशीय प्राणी को लेकर चर्चा कर रहे थे। सड़को, से लेकर गांवों के खेत खलिहान तक ये पेट भरने की जुगत में काफी नुकसान भी करते हैं। लाठी डंडे से मारकर भगाए भी जाते है। क्या इनमें दोष इनका है, या हमारा, यह आत्म चिंतन तय करेगा। वर्तमान में निराश्रित गोवंश सड़कों पर घूम रहे हैं। हर गांव में गौशाला ग्राम प्रधान की देखरेख में गांव की पड़ी परती भूमि पर बनाना चाहिए। हर घर से थोड़ा थोड़ा चारा व बासी भोजन जो फेकते ळे, वो गौशाला में डाले। सरकार गौ संरक्षण योजना से गौशाला को लाभान्वित करे। यही गाय जब दूध देती है तो गाय हमारी माता है और जब दूध नहीं देती तो अनाथ। आज के आधुनिक युग में बैल को लोग आवारा पशु समझने लगे। जब खेत जोतने, रहट, तेल, गन्ना रस निकलवाते तो अच्छे लगते थे। अब आवारा पशु कुत्तों से प्यार, गौवंशो को दुत्कार रहे हैं। इन बेजुबानों का दर्द कौन समझेगा।
रिपोर्ट-मुन्ना पाण्डेय