आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। जनपद में दो दिन से बादल छाए हैं और रह-रहकर बूंदाबादी हो रही है। इसी के साथ दिन-प्रतिदिन तापमान में कमी आ रही है। सुबह और रात के तापमान में काफी गिरावट और हल्की रबी फसलों के लिए फायदेमंद है। बारिश सरसों की फसल के लिए अमृत बनकर गिर रही है। नवंबर के पहले पखवाड़े एवं देर से बोए गए गेंहू के लिए भी अच्छा है। वहीं इसके बाद शीतलहर एवं पाले से सब्जियों की फसलों को काफी नुकसान पहुंच सकता है और परिणामस्वरूप उत्पादकता पर विपरीत असर पड़ेगा। अधिक सर्दी से फसलों को बचाने के लिए कृषकों को अपने प्रयास तेज कर देने चाहिए।
कृषि विज्ञान केंद्र, लेदौरा के अध्यक्ष डॉ. एलसी वर्मा ने खेत में पाले के प्रभाव को कम करने के लिए खेत की उत्तरी-पश्चिमी दिशा से आने वाली ठंडी हवा की दिशा में खेतों के किनारे पर बोई हुई फसल के आसपास, मेड़ों पर रात्रि में कूड़ा-कचरा या अन्य व्यर्थ घास-फूस जलाकर धुआं करना चाहिए, ताकि खेत में धुआं हो जाए एवं वातावरण में गर्मी आ जाए। इसके अलावा जरूरत के हिसाब से खेत में ताज़े पानी से सिंचाई करते रहना चाहिए, जिससे मिट्टी का तापमान कम न हो साथ ही ओस पर भी नियंत्रण हो सके।
बताया कि सल्फर (गंधक) से पौधे में गर्मी बनती है। ऐसे में 8-10 किग्रा सल्फर डस्ट प्रति एकड़ के हिसाब से अथवा घुलनशील सल्फर 600 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करने से पाले के असर को कम किया जा सकता है।
रिपोर्ट-सुबास लाल