लोक कलाओं का संरक्षण व संवर्धन जरूरी

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सगड़ी आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। ठाकुर सत्यनारायण सिंह एजुकेशनल सोसाइटी के तत्वाधान में शुक्रवार को संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सौजन्य से छः दिवसीय कार्यशाला के चौथे दिन लोक नृत्यों का जीवंत प्रदर्शन किया गया। यह आयोजन सगड़ी तहसील के खतीबपुर गांव स्थित शिव मंदिर पर किया गया।
एक समय ऐसा था जब लोक नृत्य लोक के जीवन का आवश्यक अंग होता था, दिन भर के श्रम से थक हार मनुष्य अपने आनंद व नई ताजगी स्फूर्ति के लिए लोकगीतों व लोक नृत्य का सहारा लेता था। धीरे-धीरे यह हमारी संस्कृति का हिस्सा बन गए। आज एक समय ऐसा है जब लोक कलाएं विलुप्त होती जा रही हैं। लोक कलाओं व लोक नृत्य को पुनः जीवंत करने के लिए संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सौजन्य से ठाकुर सत्यनारायण सिंह एजुकेशनल सोसाइटी जमीन हरखोरी द्वारा छः दिवसीय कार्यशाला 5 मार्च से 11 मार्च तक आयोजित है। चौथे दिन लोक नृत्य का अद्भुत प्रदर्शन किया गया जिसमें धोबिया, कहरवा, पावरिया कटघोड़वा व जांघिया नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी गई। होली के गीत व चौताल से समां बांध दिया गया।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए धोबिया कलाकार बृजभूषण रजक ने कहा कि पश्चात सभ्यता ने हमारी लोक संस्कृति पर गहरा प्रहार किया है जिसे लोक कलाओं द्वारा ही पीछे छोड़ा जा सकता है। रामायण राजभर ने कहा कि लोक कलाएं हमारे जीवन का हिस्सा होती थी लेकिन आज के आधुनिक दौर में हम सब इससे दूर हो गए हैं। उनके संरक्षण व संवर्धन के लिए हम सबको सम्मिलित प्रयास करना चाहिए। समाज सेवी ज्ञानेंद्र मिश्र ने कहा कि लोक नृत्य लोकगीत हमारे समाज का अभिन्न अंग होता था इससे समाज का ताना-बाना जुड़ा होता था। लेकिन आज आधुनिकता के चकाचौंध में हम अपनी कला और संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। लोक कलाओं के संरक्षण व संवर्धन के साथ-साथ लोक कलाकारों के लिए भी कार्य करने की जरूरत है। ऐसा न हो कि यह विधा लुप्त हो जाय। इस अवसर पर रमेश यादव, चंद्रिका राजभर, अविनाश यादव, प्रदीप तिवारी, सुनील सिंह सहित सैकड़ो लोग उपस्थित रहे।
रिपोर्ट-प्रदीप तिवारी

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