बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का करता है अतिक्रमण: सीडीओ

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आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। जिलाधिकारी के आदेशानुसार मुख्य विकास अधिकारी परीक्षित खटाना के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट सभागार में मिशन शक्ति फेज- 5.0 के अन्तर्गत छात्र-छात्राओं एवं महिलाओं के साथ ही शक्ति संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
सीडीओ ने कहा कि विगत काल में जिन महिलाओं ने कठिन परिस्थितियों को देखा है और उसका सामना करके एक मिशाल कायम किया है, चाहे वह किसी भी स्थिति में रही हों, उससे आज की महिलाओं, बालिकाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए। आप जिस भी क्षेत्र में आगे बढ़ना चाह रही हैं, उसी क्षेत्र में पूरा ध्यान लगायें।
उन्होने समस्त छात्राओं के साथ बाल विवाह विषय पर चर्चा परिचर्चा किया। बताया कि किसी लड़की या लड़के की शादी 18 वर्ष से कम उम्र से पहले होना बाल विवाह कहलाता है। बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का अतिक्रमण करता है, जिससे उन पर हिंसा शोषण तथा यौन शोषण का खतरा बना रहता है। बाल विवाह लड़कियों और लड़कों दोनों पर असर डालता है। बाल विवाह अगर कोई लड़की के माता-पिता करते हैं तो उसे कठोर कारावास जो दो वर्ष तक, एवं एक लाख का जुर्माना होता है। बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है। साथ ही कानूनी रूप से दंडनीय अपराध भी है। उन्होंने कहा कि अगर किसी भी बालिका का बाल विवाह होता है तो शिकायत संबंधित थाने या चाइल्ड हेल्पलाइन 1098, 112 टोल फ्री नंबर जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय आजमगढ़, बाल कल्याण समिति कार्यालय पर दे सकते हैं। इस दौरान विभिन्न हेल्पलाइन नम्बरों की जानकारी दी गयी। बालिकाओं द्वारा प्रश्न पूछा गया, जिसका सीडीओ द्वारा बेहतर तरीके से समझाया गया। मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना एवं निराश्रित महिला पेंशन योजना के लाभार्थियों को स्वीकृति पत्र दिया गया। जिला प्रोबेशन अधिकारी द्वारा विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी गई।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार

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