रानी की सराय आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। सारा काम छोड़कर लोकतंत्र के महाष्ज्ञ में आहुति देने पहुंचे तमाम लोगों को सूची से नाम गायब होने के कारण निराश लौटना पड़ा। खासतौर से उन्हें जो परदेश से आए थे। ऐसे लोगों का दावा था कि विधानसभा व पंचायत चुनाव में नाम सूची में थे, परंतु इस बार लोकसभा चुनाव में नाम नहीं रहा। इस चुनाव में ऐसे मतदाता मतदान से बंचित हो गए जो गैर प्रान्तों में अपनी रोजी-रोटी के लिए रहकर अपनी जीविका चलाते हैं। मुम्बई, गुजरात, दिल्ली जैसे शहरों मे रहने वाले कामगार गर्मी के छुट्टी के बीच पहले ही गांवों की ओर रुख कर लिए। मसलन पहले पहुंचने पर छुट्टी बिताने से पहले इस बार गांव मे मतदान मे भी सहभागिता निभाएंगे। शनिवार को मतदान से पहले बीएलओ ने घर-घर पर्ची पहुंचाई तो उसमे नहीं था। सोचे मतदान केन्द्र पर पहंुच सूची में नाम देखेगे, लेकिन वहां पहंुचे तो नाम नहीं था।
आजमगढ़ सदर लोकसभा क्षेत्र के पूर्व माध्यमिक विद्यालय रानी की सराय बूथ पर पहुंचे रामबाबू. रामबृक्ष. कमला देवी सुमन ने बताया वे मुम्बई रहते हैं। इससे पहले के चुनाव में मतदान किए थे। गुजरात रहने वाले समीर और बृजेश ने बताया कि आए थे मतदान को लेकिन नाम ही नही है। रोवां बूथ पर सादिक ने बताया वह इस बार विदेश से सही समय पर आए थे, लेकिन यहां नाम ही नहीं था। ऊंजी जलाईपुर मतदान केन्द्र पर सुखराम गुजरात रहते हैं। इस बार मतदान को आए थे लेकिन नाम नहीं था। कमोवेश ऐसा ही कुछ कोठिया, साकीपुर, मझगांव बूथ पर भी रहा।
रिपोर्ट-प्रदीप वर्मा