डीएम को पत्रक सौंपकर उठी मांग, ग्राम प्रधानों को मिले जनप्रतिनिधि का दर्जा

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ग्राम पंचायतों से जुड़ी समस्याओं को लेकर भी कराया अवगत

बलिया। पंचायती राज ग्राम प्रधान संगठन ने आज प्रधानों और ग्राम पंचायतों से जुड़ी समस्याओं को लेकर डीएम के प्रतिनिधि को दस सूत्रीय मांग पत्र सौंपा। डीएम के प्रतिनिधि ने प्रधानों की मांग उच्चाधिकारियों तक पहुंचाने का आश्वासन दिया।

रखी अपनी बात

इस दौरान ग्राम प्रधानों ने बताया कि हमारी हमार है कि शासन की ओर से मनरेगा के लिए जारी नई गाइडलाइन एनएमएमएस प्रणाली को समाप्त कर पुराने गाइडलाइन का पालन हो। 73वें संविधान संशोधन को पूर्ण रुप से लागू किया जाए। जिससे ग्राम पंचायतें मजबूत, स्वतंत्र, स्वावलंबी व गतिशील हो सकें। प्रधानों के मानदेय की जगह वेतन भत्ता और पेंशन चाहिए। इसके लिए अलग बजट का प्रावधान हो। प्रधानों का उत्पीड़न और जांच के नाम पर धन उगाही बंद की जाए। पंचायत सहायक और सामुदायिक शौचालय के लिए रखे जाने वाले स्वयं सहायता समूह के मानदेय के लिए अलग से बजट उपलब्ध कराया जाए।

आपदा राहत कोष की हो स्थापना

मनरेगा के पक्के काम में लगने वाली सामग्री का मूल्य बाजार भाव के अनुरूप निर्धारित किया जाए। ग्राम पंचायतों में 50 हजार रुपए से आपदा राहत कोष स्थापित किया जाए। ग्राम प्रधानों के खिलाफ दिए गए शिकायती पत्र बयान हल्फी के साथ ही स्वीकृत किए जाए। यदि जांच के बाद प्रधान निर्दोष पाया जाया तो शिकायतकर्ता पर मुकदमा दर्ज हो। प्रधानों को जनप्रतिनिधि का दर्जा दिया जाए। इसी कड़ी में ग्राम प्रधान संगठन के जिलाध्यक्ष राम तिवारी बबलू ने बताया कि यदि हमारे मांगे नहीं मानी गईं तो 16 जनवरी को मनरेगा मजदूर, रोजगार सेवकों के साथ प्रधान ब्लॉक मुख्यालय पर थाली और चम्मच बजाकर विरोध करेंगे। यदि मांग स्वीकार नहीं की जाती है तो 20 जनवरी से कार्य बहिष्कार करते हुए धरना दिया जाएगा।

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