आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। श्रीराम कथा आयोजन समिति के तत्वाधान में चल रहे नौ दिवसीय संगीतमयी श्रीराम कथा के छठवें दिन प्रवचन करते हुए पं.कौशल किशोर जी महाराज ने कहा कि राम चरित मानस में भगवान राम का विवाह उपासना का विवाह है। माता जानकी ने विवाह से पूर्व गौरी माता की आराधना कर अपने अनुरूप वर की याचना किया था।
उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक दृष्टि से श्रीराम का विवाह ब्रह्म और भक्ति का अनुपम मिलन है। जिस समय जनकपुर में देश देशांतर के राजा महाराजा जनक के आह्वान पर आए और महराज जनक के दूतो ने जब धनुष उठाने की शर्त रखी तब एक-एक करके सभी राजा धनुष उठाने में असफल रहे। निराश होकर जब दूतो ने यह कहा कि लगता है पृथ्वी वीरो से खाली हो गयी है तब इस बात को सुनकर लक्ष्मण ने प्रभु श्रीराम के बल पौरुष का दर्शन कराकर जनकपुर वासियों का भ्रम दूर किया। भगवान राम ने सहज भाव से धनुष भंग कर माता सीता का वरण किया। इस अवसर पर संजीत रुंगटा, टीपी सिंह, शंभू सेठ, निर्भय, अजय वर्मा, आचार्य हरेंद्र पाठक, प्रमोद वर्मा, राय अनूप कुमार श्रीवास्तव, जेपी श्रीवास्तव, सुभाष चंद्र तिवारी आदि उपस्थित रहे।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार