फसल जलाने से मृदा, वायु, वातावरण को होता है नुकसान

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आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। फसल अवशेष प्रबंधन परियोजना अंतर्गत ग्राम स्तरीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन कृषि विज्ञान केंद्र कोटवा के नवनियुक्त वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डा. अखिलेश कुमार यादव के नेतृत्व में ग्राम जयरामपुर विकास खंड पल्हनी में किया गया। डा. अखिलेश कुमार यादव ने किसानों को संबोधित करते हुए बताया कि किसान अपनी फसलों के अवशेषों को न जलाएं। फसलों के अवशेषों को जलाने से मृदा, वायु, वातावरण आदि में गंभीर नुकसान होते हैं। केंद्र के वरिष्ठ मृदा वैज्ञानिक डा. रणधीर नायक ने बताया कि फसलों के अवशेषों को खाद बनाकर उसको अपने मृदा मंे मिलाकर अपनी खेत की मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के साथ ही वातावरण को प्रदूषित होने से बचा सकते हैं। उन्होंने बताया कि फसल अवशेष को खेत में सड़ाने के लिए वेस्ट डीकंपोजर घोल का प्रयोग कर खेत में ही फसल अवशेष को सड़ा सकते हैं। केंद्र के उद्यान वैज्ञानिक डा. विजय कुमार विमल ने बताया कि फसल अवशेष को सब्जियों की खेती व बगीचों में फैला कर खरपतवार नियंत्रित कर सकते है।
रिपोर्ट-सुबास लाल

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