अतरौलिया आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। अतरौलिया डाक बंगला पर आज ही के दिन 23 अगस्त 1942 को स्वतंत्रता आंदोलन के लिए हो रहे एक बैठक में अंग्रेजो द्वारा चलाई गई गोली से शहीद व घायल स्वतन्त्रता सेनानियों के परिवार के लोगों द्वारा हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी अतरौलिया गोली कांड दिवस के रूप में मनाया गया। इस दौरान शहीदांे को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।
स्वतन्त्रता सेनानी रामचरित्र सिंह के पौत्र व सत्याचरण सिंह के पुत्र लाल जी सिंह ने कहा कि हम लोगों के परिवार पर अंग्रेजों द्वारा बहुत जुल्म ढाया गया लेकिन इससे हमारे पूर्वज जरा भी विचलित नहीं हुए। स्वतन्त्रता आंदोलन में भाग लेकर अपने प्राणों की बाजी लगा दी। उन्होंने कहा कि हर वर्ष इसी दिन हम लोग उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों की याद में गोली कांड स्थल पर एकत्रित होकर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। यही उन लोगों के प्रति हम लोगों की सच्ची श्रद्धांजलि है।
स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी जी के निर्देश पर अंग्रेजों भारत छोड़ो सत्याग्रह आंदोलन में अतरौलिया निवासी रामचरित्र सिंह की अगुवाई में 23 अगस्त 1942 को सुबह 10 बजे डाक बंगला अतरौलिया पर सत्याग्रह आंदोलन शुरू हुआ। लगभग 11 बजे स्थानीय मुखबिरों द्वारा इसकी सूचना अंग्रेज अफसरों को दी गई जिस पर आजमगढ़ से दो ट्रक बलुचिस्तानी फ़ौज के साथ मेजर दूनी चन्द पहुंचा तथा स्थानीय प्रशासन की मदद से लोगों से सत्याग्रह आंदोलन समाप्त करने को कहा। लेकिन रामचरित्र सिंह ने आंदोलन समाप्त करने से मना कर दिया जिस पर दूनी चन्द ने भीड़ भगाने के लिए हवाई फायर का आदेश दिया। इसके बाद भी भीड़ जमी रही जिस पर दूनी चन्द ने सीधे गोली मारने का आदेश दिया जिसमें खीरीडीहा निवासी देवमणि पाण्डेय शहीद हो गए व रामचरित्र सिंह के भाई पन्नू सिंह व पुत्र सत्याचरण सिंह को गोली लगी। लोहरा गांव के रामनयन सिंह तथा राजवंश सिंह के साथ कई लोगों को गोली लगी तथा सभी लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। रामचरित्र सिंह को 18 महीने की कड़ी सजा बनारस सेन्ट्रल जेल में दी गई तथा 5 महीने नजरबंद की सजा दी गयी। अन्य लोगों को 6 महीने की कठोर सजा तथा 15-15 कोड़े की सजा दी गई। इस मौके पर महीप सिंह, डॉ. लालजी, बाबूराम, सुजीत सोनकर, यशपाल सिंह, चंद्रपाल सिंह, प्रतीक सिंह, पुनीत सिंह, मोनू सिंह आदि लोग उपस्थित थे।
रिपोर्ट-आशीष निषाद