बौद्ध मंदिरों को ब्राह्मणवादी नियंत्रण से मुक्ति की मांग

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पटवध आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। हरैया ब्लॉक क्षेत्र अंतर्गत रौनापार में स्थित अंबेडकर पार्क परिसर में रविवार को विश्व बौद्ध महासंघ के तत्वाधान में महाबोधि महाविहार बोधगया मुक्ति आंदोलन के समर्थन में एक दिवसीय शांति मार्च एवं धम्म देशना का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष बौद्धिष्ठ सम्मिलित हुए। इस दौरान अशोक सम्राट अमर रहे आदि नारेबाजी की गई। वहीं क्षेत्र में मार्च निकालकर शासन प्रशासन से बौद्ध मंदिरों को ब्राह्मणवादी नियंत्रण से मुक्त कर बौद्धों को सौंपने की मांग की गई।
वक्ताओं ने कहा कि महाबोधि महाविहार बोधगया मुक्ति आंदोलन बौद्धों द्वारा महाबोधि मंदिर के प्रबंधन पर नियंत्रण की मांग करने वाला एक संघर्ष है जो उस स्थान को दर्शाता है जहां बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। यह आंदोलन भारत के बोधगया में स्थित महाबोधि मंदिर को ब्राह्मणवादी नियंत्रण से मुक्त कर बौद्धों को सौंपने की वकालत करता है। इस संघर्ष का एक लंबा इतिहास है जिसमें 1891 में अनागरिक धर्मपाल के नेतृत्व में मुक्ति आंदोलन शामिल है।
उन्होंने कहा कि महाबोधि मंदिर और उससे जुड़े परिसर का प्रबंधन पूरी तरह से बौद्धों को सौंपा जाए। ब्राह्मणवादी नियंत्रण से मंदिर को मुक्त कराया जाए जो वर्तमान में मंदिर के प्रबंधन में भूमिका निभा रहा है। 2025 में बौद्ध अनुयायियों और संगठनों ने मंदिर के नियंत्रण को लेकर एक बार फिर व्यापक स्तर पर संघर्ष छेड़ा है। हमारी मांगपत्र, धरने और प्रदर्शनों के बावजूद सरकार से अभी तक कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है जिससे आंदोलन जारी है। आंदोलन के समर्थन में अब अदालतों के माध्यम से भी इस लड़ाई को लड़ा जा रहा हैं। इस अवसर पर संगीता, संतोष, अर्जुन, विदेशी, सुलोचना, शेखर सहित तमाम बौद्धिष्ठ मौजूद रहे।
रिपोर्ट-बबलू राय

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