छात्रों ने ट्वीट कर विश्वविद्यालय प्रशासन को चेताया
वाराणसी। थाली भोजन न मिलने को लेकर बीएचयू की कैंटीन में छात्र उग्र हो गए हैं। छात्रों ने ट्वीट कर विश्वविद्यालय प्रशासन को चेतावनी दी है। ट्वीट के अनुसार, यदि भोजनालयों को फिर से एक्टिव नहीं किया गया तो आप जवाब देने को तैयार रहें। छात्रों ने कहा कि विश्वनाथ मंदिर के बगल में जो एग्रो कैफे है, यहां पर कोविड से पहले 30 रुपये में भरपेट भोजन मिलता था। उसके बाद से यहां पर भोजन न मिलने की नोटिस चस्पा कर दी गई। छात्रों ने बताया कि हॉस्टल से बाहर रहने वालों को काफी दिक्कतें होती हैं। वे बीएचयू में क्लास करते थे, बीच में कैफे और कैंटीन में जाकर लंच कर लेते थे। मगर, अब मैत्री और एग्रो कैफे में चावल-दाल और रोटी न मिलने से काफी दिक्कतें हो रही हैं। इस भागादौड़ी में हमारी कक्षाएँ भी छूट जाती हैं।
छात्रों ने बताई समस्याएँ
बीए के छात्र प्रीतम ने बताया कि हमारे क्लास के बीच में दो घंटे का गैप है। उस दौरान हम लोग मैत्री के बगल में ही सिटी डेलीगेसी भवन में पढ़ाई करने जाते हैं। मगर, कैंटीन में खाना नहीं मिलता। वहीं, रोज कचौड़ी-सब्जी खाकर स्वास्थ्य भी खराब हो जाता है। छात्र समरेंद्र ने कहा कि मैं सीर गेट पर रहता हूं। दोपहर का भोजन अक्सर एग्रो कैफे में कर लेता था। मै लाइब्रेरी जाने के दौरान वहीं पर भोजन कर लेता था। मेरे घर की आमदनी इतनी नहीं है कि बाहर के खाने को अफोर्ड कर पाऊं। बताया जाता है कि स्टाफ की कमी होने के चलते कैंटीन में भोजन नहीं मिल पा रहा है।
सम्बंधित लोगों को बताई गई थी समस्या
एनएसयूआई के रोहित ने बताया कि पिछले 10 साल से जितने भी कैफेटेरिया चल रहे थे, वहाँ पर रिटायर होने वाले कर्मचारियों की जगह पर नई भर्तियां नहीं होने के कारण यह अव्यवस्था हुई है। डीन आॅफ स्टूडेंट वेलफेयर से लेकर दूसरे जिम्मेदार अधिकारियों के सामने अपनी समस्या बताई गई थी। लेकिन इस पर सुनवाई नहीं होती। वीसी से अनुरोध है कि रामनगर की लस्सी और चाची कचौड़ी के अलावा इन कैफटेरिया में आएं और यहां की प्रॉब्लम के बारे में सोचे।