महराजगंज आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। भैरव धाम पर गंगा दशहरा पर लगने वाले पांच दिवसीय मेले के तीसरे दिन भक्तोें की भीड़ बढ़ गई। दरबार में हाजिरी लगाने की होड़ मची रही।रविवार और मंगलवार को कड़ाही चढ़ाने की परंपरा के कारण महिलाओं की भी अच्छी भीड़ देखी गई।
महिलाओं ने पहुंचने के बाद भैरव जी का दूर से दर्शन कर हाजिरी लगाई और उसके बाद हलवा-पूरी तैयार कर भोग लगाया।फिर अपने पसंद की सब्जी आदि बनाकर प्रसाद स्वरूप परिवार के साथ भोजन किया। परंपरा के अनुसार लोगों ने अपने बच्चों का मुंडन संस्कार संपन्न कराया। उसके बाद सत्यनारायण भगवान की कथा का श्रवण किया। कथा और हवन कराने के लिए परिसर में जगह-जगह ब्राह्मणों ने डेरा डाल लिया था। बगल में बहने वाली छोटी सरयू नदी के किनारे मुंडन संस्कार कराने वालों की कतार लगी थी।वहीं जिनके पुत्र की शादी हुई थी वह लोग नवदंपती के साथ दर्शन करने के लिए पहुंचे थे। क्षेत्र के लोगों का विश्वास है कि बाबा भैरवनाथ की अपने भक्तों पर बेशुमार कृपा रहती है और कभी खाली हाथ नहीं लौटना पड़ता। दर्शन-पूजन के बाद लोगों ने मेले का आनंद लिया। बच्चों ने काला जादू, तरह-तरह के छोटे बड़े झूले, स्टीमर पार्क आदि का आनंद लिया, तो महिलाओं की भीड़ श्रृंगार सामग्री की दुकानों पर थी।
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बाबा को पसंद है काली मिर्च और बताशा
आजमगढ़। भैरव धाम पहुंचने वाले वैसे तो प्रसाद के नाम पर बहुत कुछ चढ़ाते हैं, लेकिन काली मिर्च की बोरियां और बताशा लेना नहीं भूलते, क्योंकि बाबा को यह प्रिय माना जाता है। सरोवर के जल से पवित्र होने के बाद पहली बार जाने वाले तो उस समय परेशान हो जाते हैं जब दुकानदार पूछते हैं कि मिर्च की बोरियां कितनी दें। दरअसल कपड़े के पैकेट में पैकिंग को मिर्च बोरी का नाम दिया गया है।
रिपोर्ट-राजनरायन मिश्रा