धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में नव संवत्सर का आगाज़

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वैदिक मंत्रोच्चार के साथ बटुक, संत समाज और काशीवासियों ने भगवान सूर्य को किया जल अपर्ण

वाराणसी (सृष्टि मीडिया)। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में नव संवत्सर केदार घाट पर बेहद खास तरीके से मनाया गया। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ बटुक, संत समाज और काशीवासियों ने भगवान सूर्य को जल अपर्ण किया। हिंदू नववर्ष को मनाने के लिए वाराणसी के केदार घाट पर आज सैकड़ों की संख्या में बटुक संत समाज और काशीवासी इकट्‌ठे हुए। मां गंगा के तट पर सबसे पहले ध्वजारोहण किया गया। इसके बाद सनातन पंचांग का विमोचन किया गया। वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ भगवान भास्कर को जल अर्पित किया गया और फिर मां गंगा की आरती उतारी गई। इस दौरान वातावरण हर-हर महादेव के जयघोष से गूंज उठा।

नव संवत्सर का भव्य स्वागत

ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि आज पिंगल नाम के नव संवत्सर का स्वागत किया जा रहा है। यह भारत की विशेषता है कि सृष्टि की शुरुआत से ही हम काल की गणना करते चले आ रहे हैं। गुरुकुल के लगभग 200 छात्रों और सभी लोगों ने मिलकर इस साल के पहले सूर्योदय को अर्घ्य दिया और सूर्य नमस्कार किया। यहां राष्ट्र ध्वज फहराया गया और पंचांग का विमोचन भी किया गया। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि हमारे यहां परंपरा है कि हम सबसे पहले भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं। आज उसी परंपरा का निर्वहन किया गया। जितने भी सनातनी होंगे उनके घरों के ऊपर आज नया झंडा लगा दिया जाता है। नीम के पत्ते पारिजात के फूल उनमें नमक, अजवाइन, जीरा मिलाकर उसको खाया जाता है। इससे पूरे साल हमारे शरीर में रोग नहीं होते। ज्योतिषी को बुलाकर उन्हें दान करने की भी परंपरा है।

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