भला हो बुरा हो या जैसा भी हो, मेरा पति ही मेरा देवता है

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आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। भारतीय परंपरा भी सबसे अलग है। किसी फिल्म का यह गाना कि ’भला हो बुरा हो चाहे जैसा भी हो, मेरा पति ही मेरा देवता है’। कुछ इसी तरह का भाव लेकर सुहागन महिलाओं को भाद्र शुक्ल तृतीया के आने का साल भर इंतजार रहता है। इंतजार की घड़ियां खत्म हो चली हैं। इस बार शुक्रवार को हरितालिका तीज का व्रत पर्व मनाया जाएगा।
सुहागिन महिलाएं अन्न और जल का परित्याग कर दिन भर व्रत रहेंगी और रात में शिव-पार्वती की पूजा करके अखंड सुहाग की कामना करेंगी। यह अनोखी परंपरा हर साल दिखती है। फिलहाल पति के लिए होने वाले इस व्रत के दौरान पूजा और अन्य सामग्री खरीदने वालों की भीड़ गुरुवार को बाजारों में रात तक बनी रही। दुकान से लेकर फुटपाथ तक बांस की डलिया, पूजा व श्रृंगार सामग्री की दुकानें सजी हुई थीं और उस पर ग्राहकों की भीड़ थी। कच्ची मिट्टी के शिव-पार्वती की प्रतिमा की पूजा को ध्यान में रख कुम्हारों ने भी सड़क किनारे दुकानें लगा ली थीं।
दूसरी ओर भोर में सरगही के लिए दही, रबड़ी, केला और इमरती खरीदी तो कहीं अन्य मिठाई। केले व दही की मांग ज्यादा रही। उधर घर-घर में सुहागिन महिलाओं ने मेंहदी रचाई और एक-दूसरे ने सहयोग किया। वहीं कुछ लोगों ने ब्यूटी पार्लर का भी सहारा लिया।
साड़ी की दुकानों पर भी भीड़ कम न थी। आमतौर पर लाल, गुलाबी साड़ियों की खरीदारी हुई। मान्यता है कि भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए सबसे पहले हिम पुत्री माता पार्वती ने यह व्रत किया था और कई दिनों तक तपस्या की थी तभी से इस व्रत को रखने की परंपरा चल रही है। दूसरी ओर नई नवेली बहुओं के मायके वाले, तो कहीं मायके में रह रही विवाहिताओं के यहां ससुराल से कपड़े व अन्य श्रृंगार सामग्री लेकर अपने लोग पहुंचे थे।
रिपोर्ट-सुबास लाल

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