आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। वर्तमान में इस मंडल मुख्यालय में चुनावी चर्चा, चाय की दुकानों तथा सार्वजनिक स्थानों पर जोरों से चल रही है। कांग्रेस की पराजय और भाजपा का तीन प्रांतों में सरकार का सत्ता में आना इस जनपद में कोई आश्चर्य का विषय नहीं माना जा रहा है, क्योंकि यहां के मतदाता जातिवाद, पंजीवाद, क्षेत्रवाद तथा अन्य स्थानीय मुद्दों से जुड़े रहते हैं। सपा तथा बसपा का गढ़ आजमगढ़ जनपद होने के कारण सदैव जनमानस का देश की मुख्य वैचारिक धारा के विपरीत ही मतदान करता रहा है। बसपा के स्व.सुखदेव राजभर, सपा के दिग्गज नेताओं में बलराम यादव, अखिलेश यादव तथा मुलायम सिंह आदि सांसद रहे हैं। बसपा के स्व.रामकृष्ण यादव सर्वप्रथम सांसद यहीं से चुने गये हैं। मुहसिना किदवई भी अप्रत्याशित रूप से इसी धरती पर जीत हासिल करके सांसद बनने का सौभाग्य प्राप्त कर चुकी हैं।
वर्तमान में दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और फिल्मों का निर्माण करते हुए इस क्षेत्र की जनता की सेवा भी कर रहे हैं। साथ ही साथ यहां के प्रबुद्ध मतदाता मऊ जिले में ए.के. शर्मा जो मंत्री भी हैं, से आशा कर रहे हैं कि आजमगढ़ मण्डल की उन्नति के लिए हर संभव प्रयास करेंगे जो गोरखपुर के लिए योगी जी तथा वाराणसी के लिए मोदी जी कर रहे हैं। गोरखपुर तथा वाराणसी के बीच में स्थित यह जनपद सदैव सूरजमुखी फूल की तरह विकास के सूरज की ओर कल्पनायुक्त टकटकी लगाये देखता रहा है तथा साम्प्रदायिकता, आतंकवाद के विरूद्ध आवाज उठाता रहा है। देखना यह है कि पक्ष, विपक्ष के नेता इस आध्यात्मिक नगर की जनसमस्याओं को किस हद तक चुनाव के पूर्व हल करने में सफल हो सकेंगे जिसका दूरगामी परिणाम आगामी लोकसभा चुनाव में होगा, यह तो भविष्य के गर्भ में है।
रिपोर्ट-सुबास लाल