शिव धनुष टूटते ही लगे जय श्रीराम जयकारे

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रानीकीसराय आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। अवंतिकापुरी धाम आवंक में चल रहे रामलीला मंचन में कलाकारों ने सीता स्वयंबर मंे शिव धनुष टूटने और परशुराम लक्ष्मण संबाद की प्रस्तुति दी। देर रात तक लोग भक्ति रस में गोता लगाते रहे।
जनकपुर मे सीता स्वयंबर में आमंत्रण पर गुरु बशिष्ठ के साथ राम लक्ष्मण भी पहुंचते हैं। दरबार में पहले से ही अनेक राजा पहंुचे रहते हैं। राजा जनक स्वयंबर की घोषणा करते हैं। आये हुए सभी राजा एक-एक कर धनुष को उठाने का असफल प्रयास करते हैं। राजा जनक निराशा के बीच कहते हैं क्या धरा वीरों से खाली हो गई। तभी सभा में लक्ष्मण क्रोध में उठते है और प्रतिउत्तर देते हैं। गुरु वशिष्ठ के समझने पर शांत होते हैं। गुरु की आज्ञा पाकर श्रीराम धनुष को उठाते हैं और प्रत्यंचा चढाते ही धनुष टूट जाती। धनुष टूटने की आवाज सुन तपस्या में लीन परशुराम सीधे मन की गति से जनकपुर पहुंचते है। क्रोध देख मौजूद सभी राजा कांपने लगते हैं। परशुराम के बार-बार सजा देने की बात से लक्ष्मण भी क्रोधित हो जाते हैं और दोनो लोगों में तीखे संवाद होते हैं। राम के मना करने पर लक्ष्मण शांत होते हैं। फिर राम बडे़ ही मनोहर शब्दों में परशुराम को अपने अवतार की ओर ध्यान खींचते है। परशुराम विष्णु अवतार को पहचान लेते हैं। जय श्रीराम के जयघोष से पंडाल गूंजता रहा। इस मौके पर मुखराम गुप्ता, गुलाबचंद, अरुण विश्वकर्मा, महेन्द्र प्रसाद आदि मौजूद रहे।
रिपोर्ट-प्रदीप वर्मा

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