आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। रक्षाबंधन के बाद बहनों के खास पर्व भइया दूज उत्साह के साथ मनाया गया। भाइयों की सलामती के लिए बहनों ने निराजल व्रत रखकर भगवान गोवर्धन की पूजा-अर्चना की। भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनका मुंह मीठा कराया और उनकी लंबी उम्र व सुख-समृद्धि की कामना की।
बड़े भाई का चरणस्पर्श किया तो वहीं बड़ी बहनों के सामने छोटे भाइयों ने शीश झुकाए। समूह में बैठकर बहनों ने पूजा के दौरान पर्व से जुड़ी प्रचलित कहानियों का श्रवण किया। भइया दूज को लेकर बहनों में सुबह से उत्साह देखा गया।
बहनों ने गोबर से गोवर्धन पर्वत के अलावा तरह-तरह की आकृतियां बनाईं। गोठ तैयार होने के बाद बहनें नए कपड़े पहनकर सुनिश्चित स्थान पर एकत्रित हुईं। गोठ में बेल, बबूल, बेर, नागफनी, भरभाड़, गुलाब आदि के कांटे रखे गए। विधि-विधान से भगवान गोवर्धन की पूजा के बाद गोठ में उपस्थित महिलाओं एवं युवतियों ने भाई-बहन के अटूट रिश्तों पर आधारित कहानियां सुनीं।
भगवान गोवर्धन को लाई, चूड़ा, चीनी की बनी घरिया व नारियल आदि चढ़ाया गया। उसके बाद मूसल से ईंट पर सुपारी को कूटने के बाद गोठ की पांच बार परिक्रमा कर पूजा संपन्न हुई। गोबर की पिडी लेकर व्रत रखने वालीं बहनें गोठ से लौटीं।
परंपरानुसार बहनें यह पिडी सवा माह तक सुरक्षित रखती हैं। पूजन के बाद भाइयों ने नारियल फोड़े और बहनों ने भाई के माथे पर तिलक लगाकर व मिष्ठान खिलाने के बाद व्रत का पारण किया। भाइयों ने अपने सामर्थ्य के मुताबिक बहनों को उपहार दिए।
शहर स्थित तकिया चकला मुहल्ला में पूर्व बाल श्रम विद्यालय के बगल में सार्वजनिक चबूतरे पर उषा देवी पत्नी कैलाश गोंड़ के नेतृत्व में गोवर्धन पूजा का आयोजन किया गया। व्रतियों ने कहानी सुनी व भाइयों के माथे पर टीका लगाकर दीर्घायु की कामना की। इस अवसर पर मीरा सिंह, लालती देवी, प्रभावती चौरसिया, गुड्डी देवी, किरन देवी आदि उपस्थित रहीं।
फूलपुर प्रतिनिधि के अनुसार-क्षेत्र में गोवर्धन पूजा और भैया दूज का पर्व मनाया गया। पूजा के दौरान बहनों ने भाइयों के दीर्घायु होने की कामना की। बहनों ने पौराणिक कथाओं का श्रवण किया। अंबारी के पांडेय के पूरा में पौराणिक कथा की चर्चा करते हुए बताया गया कि भगवान श्रीकृष्ण ने देवराज इंद्र के घमंड को तोड़ने के लिए गोवर्धन पूजा करने को कहा था।
अतरौलिया प्रतिनिधि के अनुसार-नगर पंचायत व ग्रामीण क्षेत्रों में गोवर्धन पूजा धूमधाम से मनाया गया। गाय के गोबर से गोधन बनाया और पूजा कर गोंठ की परिक्रमा किया।
रिपोर्ट-सुबास लाल